पटना-गया-डोभी सड़क को पूरा करने का लक्ष्य दो बार हो चुका है फेल, नौ साल में ढाई गुना बढ़ गयी लागत
पटना-गया-डोभी सड़क का निर्माण करीब 127 किमी की लंबाई में 2013 में शुरू होने के नौ साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है. इस बीच सड़क की लागत करीब ढाई गुना तक बढ़ गयी. 2013 में जमीन अधिग्रहण के साथ इसकी लागत करीब 2264.94 करोड़ रुपये स्वीकृत की गयी थी.
पटना हाइकोर्ट ने पटना-गया-डोभी एनएच-83 फोरलेन को जून 2023 तक बनाने का अल्टीमेटम दिया है. 9 साल पहले आरंभ हुई इस सड़क के निर्माण को लेकर इसके पहले भी दो बार काम पूरा करने का लक्ष्य फेल हो चुका है. जानकारों की मानें तो जिस रफ्तार से यह सड़क बन रही हे, अगले दो से तीन साल में भी इसके पूरा होने की संभावना कम ही लग रही है. फिलहाल सड़क की लागत भी ढाई गुनी बढ़ चुकी है. पटना से लेकर डोभी तक कई जगहों पर निर्माण आधा -अधूरा है.
9 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका कार्य
इस सड़क का निर्माण करीब 127 किमी की लंबाई में 2013 में शुरू होने के नौ साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है. इस बीच सड़क की लागत करीब ढाई गुना तक बढ़ गयी. 2013 में जमीन अधिग्रहण के साथ इसकी लागत करीब 2264.94 करोड़ रुपये स्वीकृत की गयी थी. 2015 में काम शुरू हुआ, लेकिन जमीन अधिग्रहण की समस्या और ठेकेदार की लापरवाही के कारण यह बंद हो गया. नवंबर-दिसंबर 2020 में फिर से लागत का आकलन किया गया. इसकी लागत 5519.90 करोड़ रुपये मंजूर की गयी.
कोर्ट के निर्देश के बाद एजेंसी और प्रशासन ने समन्वय से आरंभ किया काम
हाइकोर्ट के निर्देश के बाद सड़क का निर्माण तेजी से करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. पहले यह समय सीमा दिसंबर 2022 और फिर मार्च 2023 थी. एनएचआइ की तरफ से भी सड़क निर्माण की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए ठेकेदार और प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर पहल शुरू की गयी है. फिलहाल मुख्य सड़क सहित इससे जुड़े बाइपास का निर्माण प्राथमिकता के आधार हो रहा है. इसके तहत गया, बेलागंज, जहानाबाद, मसौढ़ी और मखदूमपुर में बाइपास का निर्माण शामिल है. इसके लिए करीब 3283 करोड़ रुपए से भूअर्जन कर एनएचएआइ को जमीन उपलब्ध करा दी गयी है. इस सड़क के बनने से इसकी कनेक्टिविटी डोभी में जीटी रोड से हो जायेगी. इसके बाद पटना से सीधे कोलकाता या दिल्ली जाने में सुविधा हो सकेगी.
पटना, जहानाबाद और गया में तीन कंपनियां अलग-अलग कर रही काम
सूत्रों के अनुसार पटना-गया-डोभी का करीब 127 किमी की लंबाई में निर्माण शुरू होने के बाद निर्माण एजेंसी की लापरवाही के कारण अटक गया था. इस मामले में पटना हाइकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद तीन जिलों में बांटकर निविदा निकली गयी. उस निविदा में तीन अलग-अलग निर्माण कंपनी का चयन किया गया. अब गया, जहानाबाद और पटना जिले में अलग-अलग कंपनी काम कर रही है. इस सड़क का निर्माण कार्य नवंबर-दिसंबर 2020 से शुरू किया गया.