Bihar News: सीवान नगर पर्षद अध्यक्ष को हटाने का आदेश हाइकोर्ट ने रद्द किया, सरकार पर लगाया जुर्माना
घोटाले का आरोप लगाकर सीवान नगर पर्षद के अध्यक्ष पद से हटायी गयीं सिंधु देवी को हाइकोर्ट ने राहत देते हुए बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया है. सरकार पर उल्टा जुर्माना भी लगा दिया गया.
वितीय अनियमितता के आरोप में सीवान नगर पर्षद के अध्यक्ष पद से हटायी गयीं सिंधु देवी को पटना हाइकोर्ट से मंगलवार को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने नगर पर्षद के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाये जाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए राज्य सरकार पर 25000 रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने सरकार को कहा कि जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को दी जाये, क्योंकि इस बीच उसने बड़ी मानसिक प्रताड़ना झेली है.
न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने सीवान नगर पर्षद की अध्यक्ष सिंधु देवी द्वारा दायर रिट याचिका पर अपना फैसला सुनाया. खंडपीठ ने इस मामले में पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर मंगलवार को फैसला सुनाया.
कोर्ट ने सरकार को कहा कि वितीय अनियमितता के आरोप लगाये जाने के बाद याचिकाकर्ता द्वारा जो अपना स्पष्टीकरण डीएम को दिया गया, उसे पूरी तरह से देखा नही गया और उसकी बिना जांच किये ही अध्यक्ष पद से हटाते हुए नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने सरकार को कहा कि याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से उसके पद पर योगदान कराया जाये. कोर्ट ने सरकार को कहा कि अगर वह चाहे, तो इस मामले में दिये गये स्पष्टीकरण की जांच अपने स्तर से निष्पक्ष करा सकती है.
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मालूम हो कि सीवान नगर पर्षद में सड़क चौड़ीकरण व कूड़ा निस्तारण के लिए खरीदी गयी जमीन में हुए घोटाले को लेकर सीवान नगर पर्षद के पूर्व वार्ड पार्षद इंतखाब अहमद ने उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री व विभाग के सचिव को मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की थी. इसके बाद पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर ने तथाकथित घोटाले में मुख्यमंत्री से सीधे हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की थी. इसके बाद विभाग के निर्देश पर डीएम ने जांच के लिए टीम गठित की.
टीम ने जांच में मामले को सही पाते हुए विभाग को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके आधार पर विभाग ने डीएम को घोटाले में शामिल सभापति सहित सभी लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था. वहीं, प्रधान सचिव ने नवंबर, 2021 में नगर पर्षद की सभापति सिंधु सिंह की बर्खास्तगी का आदेश दिया था.
हाइकोर्ट से बर्खास्तगी निरस्त होने और मामले में दोषी नहीं पाये जाने के बाद सिंधु सिंह ने इसे सत्य की जीत बताया. उन्होंने कहा कि घोटाले का आरोप लगने के बाद से ही वह लगातार कहती रही हैं कि उन्हें बदनाम करने के लिए फंसाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोर्ट पर पूरा भरोसा था कि वह बेदाग होकर मामले से बाहर निकलेंगी.
Posted By: Thakur Shaktilochan