कानून के हाथ लंबे तो होते ही है लेकिन, सुस्त भी. इसका ताजा उदाहरण है बिहार का एक मामला. दरअसल, दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार करने में बिहार पुलिस को करीब 21 साल का वक्त लग गया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक और एचसी रजिस्ट्रार जनरल से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है.
आपको बता दें कि दहेज लोभी बिहार के एक आरोपी पर पत्नी पर उत्पीड़न और मौत का मामला दर्ज था. बावजूद इसके बिहार पुलिस को उसे गिरफ्तार करने में 21 साल का लंबा समय लग गया. वहीं, अपनी वेबसाइट पर बिहार हाईकोर्ट के फैसले को अपलोड करने में करीब 733 दिन की देरी हो गई. ऐसे में इसे लापरवाही न कही जाए तो और क्या? इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस के महानिदेशक और एचसी रजिस्ट्रार जनरल को स्पष्ट जवाब मांगा है.
गौरतलब है कि जस्टिस एनवी रमना, सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने बीएसएनएल के कर्मचारी और पत्नी का हत्यारोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था. उस पर आरोप था कि फरवरी 1999 में वह अपनी पत्नी को दहेज के लिए मार दिया था. आपको बता दें कि शादी के सात साल बाद आरोपी ने पत्नी की हत्या की थी. इससे पहले पीड़िता को अपने वैवाहिक लाइफ में कई यातनाएं सहनी पड़ी होंगी. आए दिन वह पत्नी को प्रताड़ित करता था.
हत्या के बाद पीड़िता के भाई ने ही फरवरी 1999 में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने अपने शिकायत में कहा था कि उसकी बहन को बीएसएनएल के कर्मचारी बच्चा पांडे और उसके परिवार द्वारा लगातार दहेज के लिए परेशान किया जाता था. एक बार आरोपी व उसके फैमिली ने महिला को उसके ससुराल से भी निकाल दिया था. हालांकि, बाद में समझौते के बाद वह वापस पति के साथ रहने चली गई थी. लेकिन, एकाएक खबर आयी की बहन की मौत हो गई है और अंतिम संस्कार के बाद मायके में इसकी सूचना दी गई.
Posted By : Sumit Kumar Verma