पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि जब परिवार के एक सदस्य सरकारी नौकरी में हैं, तो उस परिवार के दूसरे सदस्य को अनुकंपा पर नौकरी नहीं दी जा सकती है. न्यायमूर्ति डॉ अनिल कुमार उपाध्याय के एकलपीठ ने सोमवार को हरेंद्र कुमार की रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. कोर्ट को बताया गया कि आवेदक के पिता पुलिस विभाग में थे. नौकरी में रहने के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी.
पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा पर सरकारी नौकरी के लिए आवेदक ने विभाग में आवेदन किया. विभाग ने याचिकाकर्ता के आवेदन को इस आधार पर नामंजूर कर दिया कि उसके परिवार के एक सदस्य पहले से सरकारी नौकरी में है .इसलिए दूसरे सदस्य को अनुकंपा पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है. सरकार के इसी आदेश को याचिककर्ता ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.
कोर्ट ने कहा कि आवेदक ने भी माना है कि उसका एक भाई पहले से सरकारी नौकरी में है. ऐसे में आवेदक को अनुकंपा पर नौकरी नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने विभाग के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने दायर की गयी एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा पर नौकरी पाना किसी कर्मी के सदस्य का अधिकार नहीं है. यह व्यवस्था केवल इसलिए बनाई गई है कि व्यक्ति की मौत के बाद अचानक परिवार में वित्तीय संकट उत्पन्न नहीं हो. लेकिन अगर उस परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी नौकरी कर रहा है तो दूसरे को अनुकंपा पर नौकरी देने का कोई औचित्य नहीं है.
Posted By: Thakur Shaktilochan