बिहार राज्य के पुलिस थानों को कंप्यूटरीकृत किये जाने को लेकर दायर लोकहित याचिका पर मंगलवार को पटना हाइकोर्ट में सुनवाई हुई . कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल समेत गृह विभाग के निदेशक अभियोजन और एडीजी ( एससीआरबी) को प्रतिवादी बनाये, ताकि उन्हें उचित दिशा निर्देश दिया जा सके और साथ ही कि गयी कार्रवाई की जानकारी भी मांगी जा सके. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अधिवक्ता ओम प्रकाश द्वारा इस मामले को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
पटना हाई कोर्ट ने ए डी जी को को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित रहें. कोर्ट को बताया गया कि राज्य के बहुत से पुलिस थानों में कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस कारण पुलिस स्टेशनों में आपराधिक मामलों की जांच और केस डायरी अभी भी हाथों से ही लिखी जाती हैं.
कोर्ट को यह भी बताया गया की किसी भी आपराधिक मामले में कोर्ट को हस्तलिखित जांच रिपोर्ट और केस डायरी पढ़ने में काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है क्योंकि डायरी लिखने वाले कि लिखावट स्पष्ट नहीं होती हैं. इससे कोर्ट को काफी मुश्किलें होती है और समय भी काफी लगता है. इस कारण से न्याय करने में भी कोर्ट को परेशानी होती हैं.
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याचिका कर्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने दिसंबर 2020 में हलफनामा दायर कर कोर्ट को कहा था कि राज्य के सभी पुलिस थानों को शीघ्र कंप्यूटरीकृत कर लिया जायेगा, लेकिन अभी भी राज्य के सभी पुलिस थानों को कंप्यूटरीकृत नहीं किया जा सका हैं. इससे जहां न्यायिक पदाधिकारी गण को केस डायरी और जांच रिपोर्ट के अध्ययन में कठिनाई होती हैं, वहीं न्याय देने में भी विलम्ब होता है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी.