पटना हाइकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से किसी अपील या अन्य मामले को देर से दायर करना राजकोष की बर्बादी या करदाताओं के मिले राजस्व का दुरुपयोग है. न्यायमूर्ति पीबी बजंत्री और न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय सेवा से जुडी एक अपील, जिसे राज्य सरकार ने हाइकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के 823 दिनों बाद दायर किया था, उसे खारिज करते हुए यह बातें कही. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया की सूबे में सरकार के मुकदमे ससमय दायर हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक मॉनीटरिंग प्रणाली विकसित करें.
इस बाबत खंडपीठ ने राज्य सरकार को 14 सूत्री दिशा-निर्देश दिया. इसके तहत हाइकोर्ट के किसी भी आदेश का अनुपालन दो सप्ताह में करने या उस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए एक प्रस्ताव चार सप्ताह में अग्रसारित करने का निर्देश दिया है. सभी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने और सही तरीके से मुकदमा दायर हो, इसकी मॉनीटरिंग के लिए कोर्ट ने मुख्य सचिव को दो सप्ताह का समय दिया है.
कोर्ट ने कहा कि उक्त मॉनीटरिंग सिस्टम के तहत सरकार के अन्य बोर्ड, कॉरपोरेशन व आनुषंगिक संस्थानों की तरफ से हाईकोर्ट में दायर होने वाले मुकदमे के हर चरण की मॉनीटरिंग होगी. मॉनीटरिंग के लिए एक रजिस्टर निर्धारित किया जायेगा. इसमें यह लिखा जायेगा कि किस दिन हाइकोर्ट के आदेश की जानकारी मिली, किस दिन कोर्ट आदेश कि अभिप्रमाणित प्रतिलिपि निकाली गयी और उसके खिलाफ अपील दायर करने या आदेश का अनुपालन करने का विचार कितने दिनों के अंदर किया गया. अनुपालन करने की चर्चा किस-किस अधिकारियों के साथ की गयी. इन सब बात की जानकारी उस रजिस्टर में रहेगी.
खंडपीठ ने मुख्य सचिव को मॉनीटरिंग रजिस्टर के जरिए यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सरकार के मुकदमे को देर से दायर करने के लिए कौन अफसर या कौन सरकारी वकील जिम्मेदार है. उसकी भी जवाबदेही तय हो.
कोर्ट ने कहा कि यदि जरूरत पड़े तो सरकारी अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को निर्धारित करने वाली नियमावली को भी संशोधन करें, ताकि विलंब से मुकदमे दायर करने के आरोपी अफसरों के खिलाफ भी समय पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सके .
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उक्त 14 सूत्री दिशा-निर्देश में हाइकोर्ट ने मुख्य सचिव को यह भी आदेश दिया है कि हर सरकारी विभाग के पास विभागीय कार्य को संचालित करने वाली संबंधित नियम, नियमावली और कानून का एक विधि कोश (रिपोजिटरी) विभागीय वेब पोर्टल पर हो. ताकि हाईकोर्ट के आदेश से क्षुब्ध होकर यदि कोई विभाग हाइकोर्ट में ही यह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का प्रस्ताव दे तो संबंधित कानून की विवेचना भी उसी प्रस्ताव में कर दे सके. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी सरकारी अपील अथवा याचिका को दायर करने से पहले सरकारी वकील को एफिडेविट करने वास्ते एडवांस कॉपी अग्रसारित करें.
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