बिहार के ऊर्जा सचिव संजीव हंस के साथ-साथ राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव की मुश्किल अब बढ़ती दिख रही है. दोनों के खिलाफ एक महिला ने आरोप लगा रखा है कि उसे महिला आयोग का सदस्य बनाने का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था. अब पटना हाइकोर्ट ने इस मामले में दानापुर के एसीजेएम (एक) के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत निचली अदालत ने पीड़िता के द्वारा अपने साथ हुई घटना की प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का अनुरोध दानापुर के एसीजेएम ( एक) से किया था .
कोर्ट ने पीड़िता के आवेदन को कर दिया था खारिज
कोर्ट ने पीड़िता के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह अपने मामले की पैरवी करने कोर्ट नहीं आ रही है. जबकि हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 14 जून 2022 को पीड़िता ने कोर्ट में अपनी गवाही दी है . वह केवल 20 सितंबर 2022 को कोर्ट में नहीं आयी थी. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है इसलिए उनके आरोपों को संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नहीं भेजा जायेगा .
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आदेश को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
पीड़ित ने दानापुर एसीजेएम के इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. पीड़िता गायत्री कुमारी द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने दानापुर के एसीजेएम के आदेश को निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पटना पुलिस संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ लगे आरोपों की जांच सही समय पर पूरा करते हुए अपनी जांच रिपोर्ट दानापुर के संबंधित कोर्ट में दाखिल करें. कोर्ट ने एसीजेएम को भी निर्देशित किया है वह उस रिपोर्ट के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई करते हुए अपना आदेश पारित करें.