बिहार की जेल में बंद विदेशी नागरिक की हैरान करने वाली कहानी, जज ने रिहा करने का दिया आदेश
बिहार की सीमा में प्रवेश पाने के बाद गिरफ्तार हुए एक विदेशी नागरिक को पटना हाईकोर्ट ने जेल से रिहा करने का आदेश दिया है.
बिहार की जेल में बंद एक विदेशी नागरिक के मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने जेल से उसे रिहा करने का आदेश दिया है. बगैर वीजा के देश में घुसने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने चेक गणराज्य के एक नागरिक को 15 दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है. कोर्ट ने चेक गणराज्य के दूतावास को चेक गणराज्य के नागरिक कास्परेक पेट्र को भारत से वापस उसके देश भेजने के बारे में कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
जज को बताया गया, भारत की सीमा के अंदर क्यों आया विदेशी नागरिक
न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने कास्परेक पेट्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह साइबर अपराध के शिकार होने के बाद भारत की सीमा में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए प्रवेश कर गया. उनका कहना था कि याचिकाकर्ता के साथ साइबर अपराध हुआ था उसी मामले में धोखाधड़ी को लेकर एफआइआर दर्ज कराने के लिए वह देश में आया था. यह एक विदेशी नागरिक है .जब वह भारत सीमा में नेपाल के रास्ते प्रवेश कर रहा था, तो उसे रक्सौल (हर्रैया आउट पोस्ट) में पुलिस ने इस आधार पर गिरफ्तार कर लिया कि उसके पास भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने और रहने के लिए कोई वैध वीजा नहीं था.
दो साल की सजा मिली, जेल में बंद है आरोपित
बताया कि अवैध रूप से भारत के क्षेत्र में प्रवेश किये जाने पर पुलिस ने विदेशी कानून की धारा 14/14ए/14बी के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की . गिरफ्तारी की तारीख से वह जेल में बंद है. रक्सौल के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने उसे दोषी ठहराते हुये दो वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का अर्थदंड की सजा दिया. इस सजा को उसने अपील दायर कर चुनौती दी ,लेकिन वह भी खारिज हो गया जिसके बाद हाइकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दायर कर सजा आदेश की वैधता को चुनौती दी.
मुकदमा चलाकर दोषी बनाने से ऐतराज जताया
याचिकाकर्ता का कहना था कि कोई भी विदेशी नागरिक देश के पासपोर्ट कानून (भारत में प्रवेश) के तहत भारत में प्रवेश कर सकता हैं और वह भारत में प्रवेश करते पकड़े जाता हैं तो उसे तुरंत निर्वासित कर दिया जाना चाहिये न कि अभियोजन एजेंसी उस पर बिना वैध वीजा के भारत के क्षेत्र में प्रवेश के लिए मुकदमा चलाकर दोषी करार दे. यह न्यायोचित नहीं हैं जबकि उसका पासपोर्ट वैध था. उनका कहना था कि संबंधित अधिकारी को तुरंत उसके निर्वासन के लिए कदम उठाना चाहिए था.
कोर्ट ने वापस अपने मुल्क भेजने का दिया आदेश
कोर्ट ने निचली अदालतों की सजा को निरस्त करते हुए कहा कि बगैर वैद्य वीजा के देश में रहना अवैध है जबकि याचिकाकर्ता बिना वीजा के रह रहा है. कोर्ट ने नई दिल्ली स्थित चेक गणराज्य के दूतावास को 7 दिनों के भीतर तत्काल आवेदक का चार्ज लेकर उसे दूतावास में रखने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने उसके बाद 15 दिनों के भीतर आवेदक को दूतावास की सहायता से उसके देश वापस भेजने का आदेश दिया.