Holi 2024: पटना के युवाओं ने किया कमाल, सेफ होली के लिए बना रहे फूल-सब्जियों से आर्गेनिक व हर्बल रंग
Holi 2024 रंगों का त्योहार होली शुरू होने वाला है. इसे रंगीन बनाने के लिए बाजार में रंग-गुलाल, पिचकारी, रंग-बिरंगे बाल, डिजाइनर और आकर्षक टोपियां, मुखौटे आदि की खरीदारी शुरू हो चुकी है.
Holi 2024 रंगों का त्योहार होली भले ही 26 को है, लेकिन धीरे-धीरे इसका रंग लोगों पर चढ़ने लगा है. बाजार के अलावा हर्बल कलर बनाने वाले इस काम में जुट चुके हैं. त्योहार को अच्छे से मनाने के लिए गुलाल और रंगों की खरीदारी का दौर भी शुरू हो गया. शहर के विभिन्न इलाकों में रंग, गुलाल और पिचकारी की विभिन्न वैरायटी की दुकानें सज चुकी हैं. मगर, रंगों के इस त्योहार में खतरनाक केमिकल वाले रंग आपके स्वास्थ्य को खराब कर सकते हैं. ऐसे में लोगों की मांग देखते हुए दुकानों में फूलों और सब्जियों से बनें हर्बल गुलाल के कई वैरायटी मौजूद है. कदमकुआं, बोरिंग रोड, मधुआ टोली, पाटलिपुत्र कॉलोनी, खादी मॉल आदि जगहों पर आपको हर्बल गुलाल मिल जायेगा. शहर में कई लोग ऐसे हैं, जो महीनों पहले से इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं.
कोई बना रहा फूल, तो कोई पत्तियों व सब्जियों से रंग
पटना सिटी के रहने वाले विवेक चौधरी कहते हैं, मेरे दादा प्राकृतिक चीजों से कलर तैयार करते थे. पिछले 50 सालों से उनका पूरा परिवार इसी काम से जुड़ा है. मंदिरों से निकलने वाले फूलों और बेलपत्र से रंग तैयार किया जाता है. फिर उसे अरारोट में मिलाकर रंग और गुलाल तैयार करते हैं. यह 100 प्रतिशत स्किन फ्रेंडली होने के साथ किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इन्हें छठ के समय से रंगों के लिए ऑर्डर अलग-अलग राज्यों से आते हैं. इनके यहां बनने वाले हर्बल कलर की कीमत 200-500 रुपये प्रति किलो तक हैं. जबकि फैंसी हैंपर्स की कीमत 1000 रुपये किलो
कॉर्नफ्लावर में फूड कलर व सूखे फूलों का होता है इस्तेमाल
मछुआ टोली की रहने वाली देबलीना चौधरी पिछले तीन साल से नेचुरल कलर तैयार कर रही हैं. वे बताती हैं कि उन्हें केमिकल वाले रंगों से एलर्जी हो जाती थीं. ऐसे में वे खुद से स्किन फ्रेंडली गुलाल बनाने की सोची. इसके लिए उन्होंने कॉर्नफ्लावर में फूड कलर और सुखे फूलों, पालक का इस्तेमाल कर कलर तैयार करती हैं. उनके नेचुरल कलर की मांग पूरे देश में है. होली को लेकर उन्हें दिसंबर से ही ऑर्डर मिलने लगते हैं. ये सिंगल पैकेट से लेकर हैंपर्स में भी कलर तैयार करती हैं. एक पैकेट की कीमत लगभग 50 रुपये है.
पिछले सात साल से बच्चे तैयार कर रहे हैं हर्बल गुलाल
किलकारी के आठ सीनियर बच्चे मो हुसैन, प्रभा कुमारी, अलका, विकास, नंदिनी, राजश्री, सोनाली, अदिति ये सभी मिलकर पिछले सात साल से प्राकृतिक गुलाल तैयार करते हैं. इसमें उनका साथ आर्ट एंड क्राफ्ट ट्रेनर बिंदु कुमारी देती हैं. ये बच्चे अभी दो तरह से अबीर तैयार कर रहे हैं. इनमें पहला अरारोट में फूड कलर का इस्तेमाल करते हुए, जबकि दूसरे प्रकार में हल्दी, चुकंदर, पालक, अपराजिता और पलाश का इस्तेमाल किया जा रहा है. 100 ग्राम अबीर की कीमत 25 रुपये रखी गयी है. आर्डर के अलावा इच्छुक लोग किलकारी से भी अबीर ले सकते हैं.
निरुपमा व अलका, मखनिया कुआं
मखनिया कुआं की रहने वाली निरुपमा श्रीवास्तव कहती हैं, बाजार में अब पहले से कहीं ज्यादा हर्बल रंगों की मांग रहती है, जिसके चलते हमने होली के लिए हर्बल गुलाल बनाना शुरू कर दिया है. वे कहती हैं, मेरी सहेली अलका कुमारी के पिता प्राकृतिक चीजों से गुलाल तैयार करते थे. उनके निधन के बाद हमने मिलकर इस काम को बढ़ाया है. केमिकल वाले रंगों से लोग सेफ रहें इसलिए हम लोग गेंदा, अपराजिता, चुकंदर, पालक आदि से रंग तैयार कर उसे अरारोट में मिलाकर बेचते हैं. मेरे पास एकल कलर के पैकेट के अलावा छह तरह के कलर हैंपर्स भी उपलब्ध हैं. इनकी कीमत 200 रुपये से लेकर 800 रुपये है.
हरे रंग के लिए पालक, गुलाबी के लिए गुलाब के फूल
अखिल बताते हैं हर्बल गुलाल बनाने के लिए फूल, फल एवं पत्तियों का उपयोग किया जाता है. हरे रंग के लिए पालक, गुलाबी के लिए गुलाब के फूल, पीले और केसरिया रंग के लिए पलाश एवं गेंदा फूल, लाल रंग के लिए चुकंदर और अन्य रंगों के लिए चंदन सहित अन्य प्रकार के फूल एवं पत्तियों के रंगों का प्राकृतिक रूप से उपयोग किया जाता है. अखिल जीविका दीदीयों के अलावा एनजीओ से जुड़े लोगों को हर्बल गुलाल बनाने की भी ट्रेनिंग देते हैं. वहीं उनके पास हर्बल गुलाल के लिए मेडिकल क्षेत्र से ज्यादा ऑर्डर आते हैं. 100 ग्राम पैकेट की कीमत 35 रुपये है.