Sanjivan App: खाली बेडों की गलत जानकारी दे रहा संजीवन एप, एक से दूसरे अस्पताल भटक रहे मरीज और परिजन, जानें पटना में बेडों की स्थिति

कोविड के बढ़ते खतरे को देखते हुए महीनों पहले बिहार सरकार ने अपना एप संजीवन लांच किया था. लेकिन इस एप को अपडेट नहीं किया जा रहा है. इसके कारण कोविड संकट के इस दौर में मरीजों और परिजनों को यह एप गलत जानकारियां दे रहा है. एप पर नजदीकी कोविड अस्पतालों की जो सूची दी गयी है, वह अपडेट नहीं है. कई दिनों से बिना अपडेट किये यहां गलत जानकारी दी जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 25, 2021 8:52 AM

कोविड के बढ़ते खतरे को देखते हुए महीनों पहले बिहार सरकार ने अपना एप संजीवन लांच किया था. लेकिन इस एप को अपडेट नहीं किया जा रहा है. इसके कारण कोविड संकट के इस दौर में मरीजों और परिजनों को यह एप गलत जानकारियां दे रहा है. एप पर नजदीकी कोविड अस्पतालों की जो सूची दी गयी है, वह अपडेट नहीं है. कई दिनों से बिना अपडेट किये यहां गलत जानकारी दी जा रही है.

एप पर कोविड अस्पताल के नाम के साथ वहां कुल बेड की संख्या और खाली बेडों की संख्या की जानकारी दी हुई है. लेकिन जब हमने इस सूचना की अस्पताल से पूछ कर जांच की तो पाया कि यह गलत है और काफी पुरानी जानकारी है. लेकिन सरकारी अधिकारियों की इस पर अब तक नजर नहीं पड़ी है. एप के मुताबिक रूबन मेमोरियल अस्पताल में 97 बेड हैं, जिनमें से 26 खाली हैं, जबकि यहां 230 से ज्यादा बेड कोविड मरीजों के लिए हैं और सभी भरे हुए हैं. इसी तरह फोर्ड हाॅस्पिटल में 50 बेड हैं और सभी फुल हैं. जबकि संजीवन एप पर दिखा रहा है कि यहां 55 बेड हैं, जिनमें 46 खाली हैं.

पारस अस्पताल में कोविड मरीजों के 65 बेड हैं और सभी फुल हैं, जबकि एप पर यहां 55 बेड हैं और 46 खाली हैं. अनिसाबाद स्थित एसएस हाॅस्टिपल में 10 बेड हैं और सभी फुल हैं, जबकि एप पर यहां 10 में से चार बेड खाली हैं. बुद्धा कैंसर हाॅस्पिटल में 13 बेड हैं और सभी फुल हैं, जबकि एप पर यहां चार बेड हैं और सभी खाली हैं. एशियन हाॅस्पिटल में कोरोना के 45 बेड हैं और सभी फुल हैं, वहीं एप पर यहां 17 बेड हैं और सभी खाली हैं. सन हॉस्पिटल में 20 बेड हैं और सभी फुल हैं. जबकि एप पर सभी बेड खाली हैं.

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गलत जानकारी मिलने से मरीजों का कीमती समय हो रहा जाया : संजीवन एप पर अस्पतालों में बेड खाली होने की जानकारी देख कर जब बहुत से मरीज और उनके परिजन अस्पताल जाते हैं, तो कहा जाता है कि हमारे यहां तो बेड खाली ही नहीं. ऐसे में वे एक अस्पताल से दूसरे में भटकते रहते हैं. उन्हें जानकारी नहीं मिल पाती कि किस अस्पताल में बेड खाली हैं.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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