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दिवाली के बाद पटना के अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या, सबसे अधिक अस्थमा और सिरदर्द के मरीज

दीवाली के बाद प्रदूषित हुए इनवायरमेंट ने अस्थमा के मरीजों की भी तकलीफ बढ़ा दी है. दोनों अस्पताल के चेस्ट एवं टीबी रोग विभाग में अस्थमा के मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिली है.

दीपावली का माहौल अधिकांश लोगों के लिए खुशनुमा होता है, पर उनके लिए तकलीफ दायक साबित हुआ जिन्हें पटाखों का शोरगुल नहीं पसंद हैं. पटाखों की आवाज से परेशान मरीजों को सिर दर्द, बेचैनी, उलटी, घबराहट की समस्या देखने को मिली. इतना ही नहीं बिना सावधानी बरते पटाखा जलाने वाले आठ लोग को झुलस जाने के बाद उन्हें आइजीआइएमएस व पीएमसीएच लाया गया.

सभी मरीजों की हालत गंभीर नहीं थी

हालांकि सभी मरीजों की हालत गंभीर नहीं थी. फर्स्ट हेड व करीब तीन से चार घंटे अस्पताल में भर्ती के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया. आठ मरीज में से तीन आइजीआइएमएस व चार मरीज पीएमसीएच में पहुंचे थे.

घबराहट व सांस रोगी पहुंचे ओपीडी

पटाखों से निकलने वाले धुएं व शोरगुल की वजह से सांस रोगियों की समस्या अधिक देखने को मिली. पुराने अस्थमा रोगी के साथ ही सिर दर्द और घबराहट के अधिक मरीज पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व गार्डिनर रोड अस्पताल के ओपीडी में पहुंचे. हालांकि त्योहार व छुट्टी की वजह से दो दिन बाद मंगलवार को सरकारी अस्पतालों का ओपीडी खुला. लेकिन मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की गयी.

2150 से अधिक मरीज पहुंचे

मंगलवार को पीएमसीएच में 1018 व आइजीआइएमएस में 1138 मरीज इलाज कराने पहुंचे थे. दोनों अस्पताल मिलाकर कुल 2150 से अधिक मरीज पहुंचे. इनमें करीब 450 यानी लगभग 20 प्रतिशत मरीज संबंधित बीमारी के पहुंचे थे.

अस्थमा व सांस रोगी ज्यादा पहुंचे

दीवाली के बाद प्रदूषित हुए इनवायरमेंट ने अस्थमा के मरीजों की भी तकलीफ बढ़ा दी है. दोनों अस्पताल के चेस्ट एवं टीबी रोग विभाग में अस्थमा के मरीजों की संख्या में अधिक देखने को मिली है. डॉक्टरों की माने तो दो दिन से पटाखे व प्रदूषित इनवायरमेंट की वजह से यह समस्या देखने को मिली है.

सफाई से वातावरण में कचरे और धूल की मात्रा बढ़ जाती

इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि दीपावली में घरों की सफाई होती है और वातावरण में कचरे और धूल की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसे में जो पहले से अस्थमा के मरीज होते हैं वह संयम नहीं बरते तो चपेट में आ जाते हैं.

जलने के कई मरीज इमरजेंसी में पहुंचे थे

पीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि पटाखे सल्फर, नाइट्रेट्स, कार्बन, सोडियम और पोटेशियम से मिल कर बने होते हैं जो हवा में घुलकर वातावरण को प्रभावित करते हैं. उन्होंने बताया कि पटाखों से निकलने वाले धुएं व जलने वाले मरीज इमरजेंसी में पहुंचे थे जिन्हें स्पेशल बेड पर भर्ती कर डॉक्टरों ने इलाज किया. हालांकि राहत मिलने के बाद मरीज देर रात व मंगलवार की सुबह तक अपने घर चले गये.

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