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पटना में भी सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के निर्णय का विरोध, जैन संघ ने की फैसला वापस लेने की मांग

मुकेश जैन ने बताया कि उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल बनने से यहां पर मांस-मदिरा का सेवन होगा. होटल खुलेंगे, लोग जूता-चप्पल पहनकर पहाड़ पर जायेंगे. इससे पर्वत की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता खंडित होगी. यह जैनियों की आस्था पर कुठाराघात होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2023 11:36 PM

पटना जैन संघ की बुधवार को एक आपात बैठक प्रदीप जैन की अध्यक्षता में की गयी. लालजी टोला में संघ के महामंत्री मुकेश जैन के आवास में हुई बैठक में जैन धर्म के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाये जाने का विरोध किया गया. बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगर 10 दिनों में इस निर्णय को झारखंड सरकार वापस नहीं लेती है, तो जैन संघ पूरे पटना सहित बिहार में आंदोलन शुरू करेगी.

पर्यटन स्थल बनने से मांस-मदिरा का सेवन होगा

मुकेश जैन ने बताया कि उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल बनने से यहां पर मांस-मदिरा का सेवन होगा. होटल खुलेंगे, लोग जूता-चप्पल पहनकर पहाड़ पर जायेंगे. इससे पर्वत की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता खंडित होगी. यह जैनियों की आस्था पर कुठाराघात होगा. जैन संघ के मीडिया सचिव एमपी जैन ने बताया कि बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि झारखंड सरकार यह निर्णय वापस ले.

मारवाड़ी व अग्रवाल समाज का भी समर्थन

बैठक में बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष महेश जालान व बिहार प्रादेशिक अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष अमर अग्रवाल व कई अन्य संगठनों के लोग भी शामिल हुए. महेश जालान ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध सम्मेद शिखर जी जैन धर्मावलंबियों का अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन तीर्थ स्थल है. इसकी शुचिता और गरिमा पर किसी भी प्रकार की आंच नहीं आनी चाहिए. वहीं, अमर अग्रवाल ने कहा कि जैन समाज की इस मांग का अग्रवाल समाज समर्थन करता है.

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मुंबई में जैन समाज का विरोध मार्च

सरकार द्वारा झारखंड के गिरिडीह स्थित जैन समाज के पवित्र तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद जैन समाज में रोष है. इसे लेकर जैन समुदाय के लोगों ने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बुधवार को विरोध मार्च निकाला. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसमें बड़ी तादाद में जैन समाज के लोग शामिल हुए. प्रदर्शन में शामिल समाज के लोगों ने मांग की कि श्री सम्मेद शिखर जी बेहद पवित्र भूमि है. इसे तीर्थस्थल के रूप में ही बरकरार रखा जाये. प्रदर्शन में शामिल लोगों ने यह भी कहा कि जैन समाज शांतिदूत रहा है. आंदोलन शांतिपूर्वक चलेगा. मांगें माने जाने तक यह नहीं रुकेगा.

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