पटना मेट्रो हादसा में ओडिशा के दो मजदूरों की मौत के बाद उनका परिवार मंगलवार की देर रात 18 घंटे सफर कर पटना पहुंचे. लेकिन, जब वह पटना पुलिस के पास गये, तो पता चला कि कंपनी ने मृत मजदूरों मनोज बेहरा और विजय बेहरा के शवों को किसी दूसरे के हाथों ओडिशा भेज दिया. यह सुन दोनों मृतकों के परिजनों के होश उड़ गये. इसके बाद बुधवार को आक्रोशित परिजन एनआइटी के पास सड़क जाम कर दी. उनमें अन्य मजदूर व आइसा के कार्यकर्ता भी शामिल हो गये.
बगैर सूचना दिए शव को भेजा, परिजनों को बुलाया था पटना
परिजनों के साथ मजदूर भी सड़क पर बैठ गये. पुलिस व कंपनी की लापरवाही को लेकर जमकर नारेबाजी की. इसकी सूचना मिलते ही मौके पर डीएसपी टाउन अशोक कुमार सिंह के साथ पीरबहोर व कदमकुआं थाने की पुलिस पहुंची. वहीं, जिला प्रशासन की ओर से भी कई अधिकारी पहुंचे. घंटों समझाने के बाद भी मजदूर व मृतकों के परिजन नहीं मान रहे थे. परिजनों का कहना था कि जब फोन करके हमलोगों को पटना बुलाया गया, तो बगैर हमलोगों को सूचना दिये दोनों के शवों को कहां भेज दिया गया. कंपनी पर शवों को गायब करने का भी आरोप लगाया.
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शव नहीं मिले, तो होगा बड़ा बवाल
सड़क पर बैठे परिजन, मजदूर और आइसा संगठन के लोगों ने साफ-साफ कह दिया कि अगर दोनों मृतकों के परिजनों को शव नहीं मिले, तो बड़ा बवाल होगा. ओडिशा के नयागढ़ निवासी मृत विजय बेहरा के साले कृष्णचंद्रा बेहरा अपनी बहन को लेकर पटना पहुंचे थे. नयागढ़ जिले के ही निवासी मृत मनोज बेहरा का बड़ा भाई शव लेने पटना आये थे. कृष्णचंद्रा ने आरोप लगाया कि कंपनी और पुलिस ने शव को गायब कर दिया है. पहली बार यह सुन रहे है कि शव को किसी दूसरे के हवाले भेजा गया है. जब परिजन आ रहे थे, तो किसी और को शव क्यों दिया गया और जब शव दूसरे के हाथों में दिया गया, तो परिवार को यहां क्यों बुलाया गया और इसकी सूचना क्यों नहीं दी गयी. यह एक बहुत लापरवाही है. कंपनी को लगा कि यहां आने पर परिजन हंगामा करेंगे और मुआवजा मांगेंगे. इसी बचने के लिए यह पूरा खेल खेला गया है.
डेढ़ महीने पहले मनोज घर गया था
मृत मनोज बेहरा के बड़े भाई ने बताया कि डेढ़ महीने पहले वह घर आया था. गणेश पूजा के विसर्जन में भी आया था. दोनों भाइयों ने मिलकर खूब डांस किया था. मेरा भाई गांव का शेर था. सभी उसकी बहुत इज्जत करते थे. किसी से कोई विवाद नहीं, सभी को इज्जत-सम्मान देने वाला था. आने वक्त मैं उसे स्टेशन छोड़ने आया था. उसने जाते-जाते कहा कि भाई, सुनो तुम्हारा छोटा भाई जिंदा है, किसी से डरना नहीं. यह बात कान में गूंज रही है. 11 बजे दूसरी साइट पर काम करने वाले मेरे बुआ का लड़का बिपिन का फोन आया और उसने कहा कि तुम्हारा भाई नहीं रहा. इसके बाद मैं उसी दिन ट्रेन पकड़ कर पटना पहुंचा, लेकिन यहां शव नहीं मिला.
दो छोटी-छोटी बेटियों का कैसे होगा भरण- पोषण
मृत विजय के साले कृष्णचंद्रा बेहरा ने बताया कि उनकी दो छोटी-छोटी बेटियां हैं. पिछले तीन साल से यहां काम कर रहे थे. जब भी जाते थे, यहां से कुछ-न-कुछ दोनों बेटियों, पत्नी व परिवार के लिए लेकर जाते थे. अब कौन उनके घर को संभालेगा. उनकी बेटियों का क्या होगा. मजदूरों की जिंदगी का कोई अहमियत नहीं है. कंपनी का कोई भी अधिकारी मजदूरों के परिजनों से मिलने नहीं आया. परिजन ने 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है.
फ्लाइट से परिजनों को भेजा जायेगा ओडिशा
तीन घंटे हंगामे के बाद पुलिस व जिला प्रशासन ने समझा-बुझाकर सभी को सड़क से हटाया. डीएसपी ने बताया कि परिजनों को आश्वासन दिया गया है कि उनके परिजनों के शव उन्हें सही सलामत दिये जायेंगे. यही नहीं, परिजनों को अधिकारियों से मिलवाने का भी आश्वासन दिया गया है. यही नहीं, फ्लाइट से परिजनों को ओडिशा भेजा जायेगा.
तीन घंटे सड़क रहा जाम, लोगों को हुई परेशानी
मजदूरों के हंगामे के कारण तीन घंटे तक सड़क जाम रहा. पटना सिटी से गांधी मैदान और गांधी मैदान से पटना सिटी आने वाले लोग को घंटों मशक्कत करनी पड़ी. वहीं, ट्रैफिक को भिखना पहानी की ओर मोड़ दिया गया, जिससे भिखना पहाड़ी, मछुआ टोली, मखनियाकुआं, गोविंद मित्रा रोड आदि इलाकों में भी भीषण जाम लगा गया. स्थानीय थानों की मदद से जाम को घंटों मशक्कत के बाद हटाया गया.