Patna : मेट्रो प्रोजेक्ट में जा रहीं चार दुकानों को न मुआवजा, न शिफ्टिंग
पीएमसीएच के पास मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए 103 साल पुरानी नूरानी दवाखाना सहित चार दुकानें टूटेंगी. लेकिन दुकानें तोड़ने के एवज में न तो मुआवजा देने व न ही उसके बदले में दुकान व्यवस्थित किये जाने की बात ही जा रही है.
संवाददाता,पटना : पीएमसीएच के पास मेट्रो स्टेशन निर्माण को लेकर जमीन अधिग्रहण होना है. इसके लिए पीएमसीएच के सामने 103 साल पुरानी नूरानी दवाखाना सहित चार दुकानें टूटेंगी. जिला प्रशासन की ओर से होनेवाली इस कार्रवाई को लेकर दुकानदार परेशान हैं. दुकानदारों को दुकान तोड़ने के बारे में अधिकारी दबाव बना रहे हैं. लेकिन दुकानें तोड़ने के एवज में न तो मुआवजा देने व न ही उसके बदले में दुकान व्यवस्थित किये जाने की बात ही जा रही है. इसको लेकर दुकानदार परेशान हैं. चारों दुकानों में कार्यरत 40 से 45 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी की समस्या होने से वे विचलित हैं.
मुख्यमंत्री को भी लिखा पत्र
दुकानदारों ने दुकानों के अधिग्रहण से बचाने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश को भी पत्र लिखा है. इसमें दुकानदारों ने जीविका का एकमात्र साधन दुकान को बताया है. दुकानों के टूटने का असर परिवार, बच्चे व इस पर निर्भर कर्मचारियों और उनके परिवार पर सीधे तौर पर पड़ने की बात कही गयी है. इस संबंध में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी रंजन कुमार चौधरी ने बताया कि वक्फ बोर्ड ने जमीन अधिग्रहण को लेकर एनओसी दिया है. मुआवजे को लेकर दुकानदार आवेदन दे सकते हैं. इसके बाद इस पर निर्णय लिया जायेगा.पहले मेट्रो से दुकान बना कर देने का मिला था आश्वासन
नूरानी दवाखाना के मालिक मिसबाहुल होदा ने बताया कि मेट्रो की ओर से पहले दुकान तोड़ने के एवज में दुकान बना कर देने का आश्वासन मिला था. अब मेट्रो इससे मुकर रहा है. जिला प्रशासन की ओर से भी हमलोगों से कोई बात नहीं की जा रही है. वक्फ बोर्ड के सीइओ से मिलने पर कहा जाता है कि जिला प्रशासन से संपर्क करें. उन्होंने बताया कि नूरानी दवाखाना ने देसी चिकित्सा यूनानी को विशेष पहचान दी. वर्ष 1920 में रजिस्टर्ड इस संस्था को प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ जाकिर हुसैन सहित अन्य गणमान्य ने प्रशंसनीय पत्र दिया. नूरानी दवाखाना के मालिक हकीम हाजी नुरुल होदा का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान रहा है.रोजी-रोटी की होगी समस्या
न्यू पनामा मेडिको के कमल मुर्तजा ने कहा कि 70 साल से दुकान है. दूकान टूटने पर यहां कार्यरत कर्मियों के सामने रोजी-रोटी की समस्या होगी. मेट्रो निर्माण को लेकर जमीन की मापी में सहयोग किया गया. उद्योग भवन से आये अधिकारियों ने सोशल इंपैक्ट का सर्वे किया. दुकान टूटने पर पहले दुकान बना कर देने की बात कही गयी. अब बिना किसी आश्वासन के दुकान तोड़ने की बात कही जा रही है. हमलोगों की दुकान को पहले व्यवस्थित करने के बाद दुकान तोड़ने का काम होना चाहिए, ताकि रोजी-रोटी की समस्या नहीं हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है