पटना. पटना मेट्रो के लिए डिपो की जमीन के साथ ही विदेशी ऋण का मामला भी लटक गया है. पहाड़ी व रानीपुर मौजा में मेट्रो डिपो निर्माण को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अक्तूबर, 2021 में ही अधिसूचना निकाली थी. पटना जिला प्रशासन को छह महीने में अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी कर लेनी थी, लेकिन साल भर बाद भी यह संभव नहीं हो सका है. स्थानीय लोगों के विरोध के चलते निर्माण पर ब्रेक लगा है.
अधिकारियों के मुताबिक पटना मेट्रो की कुल लागत 17.5 हजार करोड़ का 60 फीसदी हिस्सा विदेशी लोन से पूराहोनाहै. इसके लिए जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) से लोन की चल रही प्रक्रिया भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है. जायका के जापानी प्रतिनिधिमंडल ने पांच से छह महीने तक मेट्रो के कार्यों का अवलोकन किया था. लोन के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया आवश्यक थी.
मेट्रो डिपो निर्माण शुरू नहीं होने की मुख्य वजह स्थानीय लोगों का विरोध है. स्थानीय निवासी अधिग्रहण के विरोध में अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं. लोगों ने पाइलिंग के लिए पहुंचे इंजीनियरों को शुक्रवार को भी चिह्नित स्थल से खदेड़ किया. उनका कहनाहै कि डिपो के चलते 45 स्थायी मकानों में रहने वाले लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा. उनके मुताबिक एक हजार लोगों में से 750 ने दावा-आपत्ति में इसका विरोध किया था.
वर्तमान में मेट्रो के लिए मलाही पकड़ी से आइएसबीटी बैरिया तक के एलिवेटेड रूट के साथ ही मोइनुलहक स्टेडियम और अशोक राजपथ इलाके में अंडरग्राउंड रूट का काम शुरू है. मेट्रो के दोनों रूट मिला कर कुल 26 स्टेशन का निर्माण होना है.