पटना नगर निगम चुनाव के 10 मुद्दे : मैदान में उतरे प्रत्याशी कर रहे ढेरों वादे, पर जनता के मन में कई सवाल
पटना शहर में कुछ समस्याएं ऐसी हैं, जिन पर वर्षों से काम तो किया जा रहा, पर वे पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो रहीं. ऐसे में हम आपको 10 ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे बता रहे हैं, जिन पर तत्काल काम करने की जरूरत है. पेश है रिपोर्ट...
पटना नगर निगम में 75 वार्डों में पार्षद के अलावा मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव बुधवार को होने हैं. चुनाव के बाद नये जन प्रतिनिधियों के साथ में शहर की कमान होगी. निगम के जनप्रतिनिधि शहर के विकास के लिए योजनाओं पर काम करेंगे. मगर, कुछ समस्याएं ऐसी हैं, जिन पर वर्षों से काम तो किया जा रहा, पर वे पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो रहीं. ऐसे में हम आपको 10 ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे बता रहे हैं, जिन पर तत्काल काम करने की जरूरत है.
1.पार्किंग की समस्या
पटना शहर या नगर निगम क्षेत्र की एक बड़ी समस्या ट्रैफिक जाम है. इसका एक बड़ा कारण सड़कों पर जहां-तहां गलत तरीके से गाड़ियों को पार्क करना है. शहर के हर इलाके में गाड़ियों के पार्किंग स्पेस की कमी है. हाल के वर्षों में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कई गुनी बढ़ चुकी है, लेकिन उसकी तुलना में पार्किंग एरिया विकसित नहीं किया गया है. बेहतर पार्किंग एरिया विकसित करने और इसका सुचारु संचालन एक बड़ा मुद्दा है.
2.जलजमाव की समस्या
पटना में जलजमाव एक बड़ी समस्या है, नालों की सही से सफाई नहीं होने और नालों की कमी के कारण हर वर्ष शहर के विभिन्न हिस्सों में जलजमाव बड़ी समस्या बन जाती है. शहर की आबादी को बरसात के दिनों में जलजमाव से मुक्ति देने के लिए अभी काफी काम करने की जरूरत है. नालों का निर्माण और इनका बेहतर प्रबंधन करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.
3.शहर में बढ़ते प्रदूषण की समस्या
पटना देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है. जाड़े के दिनों में शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार हो जाता है. इसका मुख्य कारण सूक्ष्म कण या धूल है. पिछले कई वर्षों से पटना की हवा बेहद खराब या खतरनाक स्तर पर पहुंच जा रही है, लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई कारगर प्रयास होता नहीं दिख रहा है. प्रदूषित हवा शहर के लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन गयी है. नगर निगम शहर के प्रदूषण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
4. कचरा प्रबंधन की समस्या
पटना नगर निगम क्षेत्र के 75 वार्डों से हर दिन जो कचरा एकत्र होता है, उसका निस्तारण या प्रबंधन एक बड़ी चुनौति बनती जा रही है. जहां भी इसे एकत्र करके रखा जा रहा है, उस इलाके के लोग दुर्गंध से परेशान हो रहे हैं. नगर निगम क्षेत्र से एकत्र किये गये कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए करीब एक दशक से कई योजनाएं बनीं, लेकिन कोई भी कामयाब नहीं हो सकी. कचरे से गैस व खाद बनाने की योजना हवा-हवाई ही बनी रही. ऐसे में शहर को स्वच्छ रखने के लिए कचरा प्रबंधन एक बड़ा मुद्दा है.
5.व्यवस्थित वेंडिंग जोन की कमी
पटना नगर निगम क्षेत्र में व्यवस्थित वेंडिंग जोन की भारी कमी है. इसके कारण फुटपाथों और सड़कों पर दुकानें लगती हैं, जिससे जाम की समस्या होती है. वेंडिंग जोन बनने से फुट कर विक्रेताओं से लेकर आम लोगों तक को सहूलियत होती. कई बार इसको लेकर योजनाएं बनीं, लेकिन आज भी यह व्यवस्थित तरीके से शहर में लागू नहीं हो पायी.
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6. खराब सड़कें और खुले मैनहोल
राजधानी की अधिकतर बड़ी सड़कें पथ निर्माण विभाग की ओर से बनी हैं. मगर गलियों आदि सड़कों को बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. शहर के शास्त्रीनगर, बाबा चौक, पुनाईचक, राजवंशी नगर से लेकर बेऊर, गर्दनीबाग, अनिसाबाद सहित कई मुहल्लों की सड़कें काफी खराब हैं, जिनकी मरम्मत समय-समय से नहीं होती है. इसके अलावा खुले मैनहोल भी शहर की प्रमुख समस्या है. हाल में ही 25 सौ मैनहोल का निर्माण किया गया है. बारिश के समय समस्या होती है.
7. नये मुहल्लों में सुविधाएं नहीं बढ़ीं
राजधानी के नये इलाके मसलन बाइपास के दक्षिण बसे चांगण, कछुआरा, जगनपुरा, घाना कॉलोनी, बेईमान टोला आदि जगहोंं पर पेयजल सप्लाइ की सुविधा शुरू नहीं हो पायी है. इसके अलावा इन क्षेत्रों में ड्रेनेज सिस्टम का काम भी पूरा नहीं किया गया है. इस कारण हर बारिश के मौसम में यहां भारी जल-जमाव की समस्या होती है.
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8. अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं
नगर निगम की ओर से बीते कई वर्षों से अवैध निर्माण की कार्रवाई सुस्त पड़ गयी है. गंगा किनारे हुए अवैध निर्माण, बगैर नक्शा स्वीकृति के घरों के निर्माण आदि पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस कारण शहर की सूरत नहीं बेहतर होती और बेतरतीब ढंग से घरों के निर्माण के कारण नाला निर्माण, सड़क निर्माण और पार्क आदि निर्माण का काम नहीं हो पाता. सबसे बड़ी बात है कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं होने से होल्डिंग टैक्स में गड़बड़ी और आपसी विवाद की भी समस्या बनती है.
9. नयी योजनाओं की शुरुआत
नगर निगम बीते कई वर्षों से नयी योजनाओं की शुरुआत नहीं कर पा रहा है. दिल्ली के तर्ज पर मोहल्ला क्लीनिक खोलने की योजना शुरू नहीं हो पायी. शहर के विभिन्न चौराहों पर वाटर फाउंटेन लगाने और सौंदर्यीकरण का काम शुरू नहीं हो पाया.
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10. नालों पर सड़क बनाने का काम अधूरा
शहर की एक महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार बड़े नालों बाकरगंज, सर्पेंटाइल, आनंदपुरी, सैदपुर आदि नालों पर सड़क बनाने की योजना अब तक जमीन पर नहीं उतरी. कई बार डीपीआर के बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया. केवल मंदिरी नाले पर सड़क बनाने का काम शुरू हुआ है. लेकिन दो वर्ष से अधिक समय के बाद भी 50 फीसदी भी काम नहीं हो पाया है. दोबारा टेंडर कर मंदिरी नाला पर सड़क बनाने की कोशिश की जा रही है.