Patna News: राज्य सरकार ने अप्रैल 2022 से शराबबंदी कानून में संशोधन कर पहली बार शराब पीने के आरोपितों को धारा 37 के तहत जुर्माना लेकर छोड़ने का कानून बनाया है. लेकिन, 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद से लेकर मार्च 2022 तक पुलिस व उत्पाद थानों में दर्ज हुए ऐसे करीब एक लाख से अधिक मामले अब भी न्यायालय के स्तर पर लंबित हैं. मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग अब इन मामलों के निष्पादन में जुट गया है. राज्य के सभी मद्यनिषेध अधीक्षकों और थाना पुलिस को ऐसे आरोपितों का पता लगाकर समन जारी करने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद विशेष उत्पाद न्यायालयों में पेश कर इनके केस का निष्पादन किया जायेगा.
लंबित केसों के निष्पादन को प्रमंडलवार हो रही समीक्षा
दरअसल राज्य सरकार ने गृह और मद्य निषेध विभाग को शराबबंदी से जुड़े लंबित कांडों के निष्पादन का टास्क सौंपा है. अधिकारियों के मुताबिक राज्य में मद्यनिषेध अधिनियम के अंतर्गत लगभग 5.50 लाख कांड लंबित हैं. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के साथ बिहार पुलिस की मद्य निषेध इकाई की टीम प्रमंडल वार इन कांडों की समीक्षा कर रही है. समीक्षा में पाया गया कि वर्ष 2022 में जुर्माने का प्रावधान लागू होने के बाद धारा 37 के तहत दर्ज नये कांडों का निष्पादन तो तेजी से हो रहा है, मगर पुराने कांड अभी भी जस के तस लंबित पड़े हैं. इनमें एक लाख से अधिक ऐसे कांड हैं, जिनमें पहली बार शराब पीते हुए आरोपितों को पकड़ा गया था. इसमें कई आरोपितों ने जेल की सजा भी काटी और फिर जमानत लेकर जेल से बाहर आ गये. शराब पीते हुए पकड़े गये इन आरोपितों को तलाश कर नये प्रावधान के तहत इनके केस निष्पादन का टास्क दिया गया है. लगभग हर जिले में औसत ऐसे दो से तीन हजार आरोपित हैं.
पहले शराब पीते पकड़े जाने पर पांच साल की सजा का था प्रावधान
बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद समय-समय पर कई संशोधन हुए हैं. पहले शराब पीते हुए पकड़े जाने पर पांच साल तक की सजा थी, जिसे घटाकर बाद में तीन साल कर दिया गया था. मगर अप्रैल, 2022 में शराबबंदी कानून में बड़ा बदलाव किया गया. इसके तहत पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर दो से पांच हजार रुपये जुर्माना देकर छोड़े जाने का प्रावधान लागू कर दिया गया. वहीं दूसरी बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है.