Patna News: पटना में पुराने आवासों को तोड़कर बनेंगे सरकारी भवन, मरीन ड्राइव की तरह विकसित होगा जेपी सेतु

Patna News: पटना में पुराने आवासों को तोड़कर सरकारी भवन का निर्माण कराया जाएगा. इसके साथ ही मेरीन ड्राइव की तरह जेपी सेतु को भी विकसित किया जाएगा.

By Radheshyam Kushwaha | February 15, 2025 3:45 AM

Patna News: गंगा पुल परियोजना के तहत पुराने और जर्जर आवासों को तोड़कर सरकारी भवन का निर्माण किया जा सकता है. कुल 109 आवास हैं ,जिनमें मात्र 17 आवास आवंटित हैं. शेष 92 आवास गैर आवंटित हैं. सभी आवासों की स्थिति जर्जर है. ये रहने लायक नहीं हैं. इनको तोड़कर कुल 4.922 एकड़ जमीन का उपयोग सरकारी भवन निर्माण के लिए किया जा सकता है. इस संबंध में सभी तकनीकी और वैधानिक पहलुओं की समीक्षा का निर्देश वरीय पदाधिकारियों को दिया गया है. यह बातें उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है. उन्होंने कहा कि नियमसंगत रूप से जिन्हें आवास आवंटित है, उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, सरकार उनका पूरा ध्यान रखेगी. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि कुल प्लॉटों की संख्या 514 है, जिनमें गैर निबंधित प्लॉट128 और खाली प्लॉट 34 हैं. गैर निबंधित और खाली प्लॉट की कुल भूमि 7.7 एकड़ है, जिस पर नवनिर्माण पर विचार किया जायेगा.

अभियंता प्रमुख को स्थलीय निरीक्षण कर तीन दिनों में रिपोर्ट देने का निर्देश

उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 50,000 वर्गफुट का भूखंड भी खाली है, जिस पर आधारभूत संरचना का निर्माण किया जा सकता है. अभियंता प्रमुख को स्थलीय निरीक्षण कर तीन दिनों में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी है. इसमें अभियंता प्रमुख, मुख्य अभियंता दक्षिण और मुख्य अभियंता अनुश्रवण सदस्य होंगे. समिति को 15 दिनों में एक विस्तृत प्रतिवेदन देना है, जिसके अधार पर नवनिर्माण की रूपरेखा तैयार की जायेगी.

जेपी सेतु और गंगा नदी के निकट है जमीन

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि यह जमीन जेपी सेतु और गंगा नदी के निकट है. जेपी सेतु पटना में मरीन ड्राइव की तरह विकसित हो रहा है. उन्होंने कहा कि गंगा पुल परियोजना के तहत विस्थापितों को फिर से आवास देने के लिए विभाग द्वारा एक नीति बनायी गयी थी. इसके तहत विस्थापित व्यक्तियों को जमीन आवंटित करने का प्रावधान किया गया था. यह नियमावली वैसे विस्थापितों के लिए थी जिनका पटना या हाजीपुर में कोई आवास नहीं हो. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि गंगा पुल परियोजना के तहत विस्थापितों को फिर से आवास देने से संबंधित कई शिकायतें आयी थीं, जिसे गंभीरता से लेते हुए विभागीय पदाधिकारियों को जांच का निर्देश दिया गया था.

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