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पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज में शैक्षणिक पदाधिकारियों की भारी कमी, मान्यता पर छा सकता है संकट…

पटना: राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में शैक्षणिक पदाधिकारियों की भारी कमी है. शैक्षणिक पदाधिकारियों के रिक्त पदों को भरने के लिए कॉलेज के प्राचार्य ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से गुहार लगायी है. प्रधान सचिव को शुक्रवार को पत्र लिखकर कहा है कि इनके रिक्त पदों को नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, पदस्थापन अथवा संविदा पर तत्काल भरा जाये. इसमें कहा गया है कि अगर इन पदों को नहीं भरा गया तो कॉलेज और इसके पीजी कोर्सों की मान्यता पर संकट आ सकता है.

पटना: राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में शैक्षणिक पदाधिकारियों की भारी कमी है. शैक्षणिक पदाधिकारियों के रिक्त पदों को भरने के लिए कॉलेज के प्राचार्य ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से गुहार लगायी है. प्रधान सचिव को शुक्रवार को पत्र लिखकर कहा है कि इनके रिक्त पदों को नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, पदस्थापन अथवा संविदा पर तत्काल भरा जाये. इसमें कहा गया है कि अगर इन पदों को नहीं भरा गया तो कॉलेज और इसके पीजी कोर्सों की मान्यता पर संकट आ सकता है.

वर्तमान में आठ विषयों में स्नातकोत्तर कराया जा रहा

इसमें प्राचार्य ने कहा है कि राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना को सरकार द्वारा स्नातकोत्तर संस्थान के रूप में सभी विषयों में स्नातकोत्तर शिक्षण प्रशिक्षण प्रारंभ करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जा चुका है. वर्तमान में आठ विषयों में स्नातकोत्तर कराया भी जा रहा है. शेष छह विषयों में एमडी आैर एमएस प्रारंभ करने के लिए आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना के साथ – साथ स्वास्थ्य विभाग बिहार से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल चुका है. इसके बाद कॉलेज की ओर से आयुष मंत्रालय भारत सरकार और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद नयी दिल्ली से मान्यता के लिए कार्रवाई की जा चुकी है.

पूर्व में भी आयुष मंत्रालय और परिषद द्वारा कमियों को पूरा करने के लिए कहा गया

इस क्रम में परिषद द्वारा कॉलेज में शैक्षणिक पदाधिकारियों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए अनुरोध किया गया है. पूर्व में भी आयुष मंत्रालय और परिषद द्वारा इन कमियों को पूरा करने के लिए कहा गया था, इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ने 31 दिसंबर 2019 तक इन कमियों को दूर करने की अंडरटेकिंग दी थी जिसकी अवधि भी समाप्त हो चुकी है. पत्र में कहा गया है कि इन कमियों को अगर समय पर दूर नहीं किया गया तो कॉलेज की मान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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