पटना की खूबसूरती में चार चांद लगा रही बाउंड्री व फ्लाइओवरों पर बनी पेंटिंग, जानिए क्यों है संरक्षण की जरूरत 

पटना की सड़कों की बाउंड्री व फ्लाइओवरों को पिछले साल ही खूबसूरत भित्ति चित्र (म्यूरल आर्ट) के जरिये मेकओवर किया गया था. शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के उद्देश्य से जगह-जगह मधुबनी व मिथिला पेंटिंग के जरिये स्वच्छता, पर्यावरण, टेक्नोलॉजी और जलीय जीव के संरक्षण से संबंधित चित्रकारी उकेरी गयी. मगर महज साल भर बाद ही पटना की रंगत बदलने वाले ये पेंटिंग्स अपनी सुंदरता खोने लगे हैं.

By RajeshKumar Ojha | December 14, 2024 12:53 PM

लाइफ रिपोर्टर@पटना
पटना के विभिन्न फ्लाइओवरों, दीवारों और चौक- चौराहों पर रंग-बिरंगी पेंटिंग्स उकेरी गयी है, जो न केवल शहर की खूबसूरती, बल्कि बिहार की समृद्ध परंपरा और कला-संस्कृति को भी बढ़ावा दे रही है. गांधी मैदान के पास बनी मिथिला पेंटिंग, एनआइटी घाट पर छठ पूजा का दृश्य, सचिवालय की दीवारों पर मंजूषा कला, बोरिंग कैनाल रोड, जेपी गंगा पथ व छज्जूबाग का हर कोना आकर्षक भित्ति चित्र (म्यूरल आर्ट) से सजा है, जो अपने आप में एक अद्वितीय कला का उदाहरण पेश करता है.

इन पेंटिंग्स के जरिए पटना के हर कोने को एक नयी पहचान मिली है, जो न केवल कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी दिलचस्प है. लेकिन इस कला के महत्व को समझते हुए, पेंटिंग्स के संरक्षण पर ध्यान तक नहीं दिया जा रहा है. महज सालभर बाद ही पटना की रंगत बदलने वाले ये पेंटिंग्स अपनी सुंदरता खोने लगे हैं. देखरेख के अभाव में दीवारों के प्लास्टर झड़ने से कभी पटना की शान कही गयी ये पेंटिंग्स अब बदरंग हो रही हैं.

पारंपरिक कला का कद्र करें शहरवासी : अजय पांडेय

कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट के प्राचार्य अजय पांडेय कहते हैं, शहर में बनी पेंटिंग्स को हमारे कॉलेज के छात्रों ने बनाया है. हर जगह अलग-अलग कला का प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की पारंपरिक कला को दीवारों पर उकेरी गयी है. इससे यहां आने वाले पर्यटक और वाशिंदे भी इसे समझ और सराह सकेंगे. इस पहल में पटना स्मार्ट सिटी का अहम योगदान है. कॉलेज के छात्र पटना के अलावा अन्य बड़े आयोजनों, मेलों और समारोहों में भी कला का प्रदर्शन करते हैं.आम आदमी को यह समझना चाहिए कि आर्ट तैयार करने वाले कलाकार मेहनत से काम करते हैं, लेकिन इसकी सही देखभाल न होने पर यह खराब हो जाती है. बनाये गये ऐसे पारंपरिक कला का शहरवासियों को कद्र करने की जरूरत है और इसे संरक्षित रखने का भी.

आर्ट पर पोस्टर और गंदगी का असर

आर्ट कॉलेज के छात्रों ने शहर के कई फ्लाइओवरों को अपनी कला से सजाया है. उन्होंने हड़ताली मोड़ के पास स्थित फ्लाइओवर की दीवारों, सचिवालय, चिड़ियाघर और जेपी गंगा पथ के नीचे गेट को सजाया है. इसके अलावा, गांधी मैदान के चारों ओर टिकुली आर्ट और मधुबनी पेंटिंग्स बनाई गई हैं. छठ के दौरान एनआईटी घाट पर भी आर्ट कार्य किया गया. दीवारों पर काम करने से पहले, कलाकारों को इन पर प्राइमर लगाना पड़ता है, ताकि पेंट अच्छे से चिपक सकें. इसके बाद, एक्रिलिक और इमल्शन पेंट का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि ये दीवारों पर टिकाऊ रहते हैं. हर दीवार की सतह और विशेषताओं के अनुसार, कलाकार अपने ब्रश और पेंट का चयन करते हैं. इसके बाद वे आर्ट को दीवारों पर उकेरते हैं. लेकिन, इन खूबसूरत आर्टवर्क पर पोस्टर चिपकाना और गंदगी फैलाना उनकी सुंदरता को नुकसान पहुंचाता है.

पान के पीक से डिवाइडर हो रहे लाल

सड़क किनारे काले, पीले और सफेद रंग से तैयार डिवाइडर को अंधेरे में आसानी से देखा जा सकता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है. हालांकि, पान और गुटका खाकर इन डिवाइडरों पर थूकने से उनकी सुंदरता खराब होती है और गंदगी फैलती है. यह न केवल डिवाइडर की स्थिति को बिगाड़ता है, बल्कि सार्वजनिक स्वच्छता को भी प्रभावित करता है. ऐसे में लोगों को जागरूक होने की जरूरत है ताकि शहर साफ-सुथरा और सुंदर बना रहे.

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