राजीव नगर के नेपाली नगर में घर तोड़ने के मामले में आज एक बार फिर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. जस्टिस संदीप कुमार की बेंच पर होने वाली इस सुनवाई में पटना के डीएम, सीओ और हाउसिंग बोर्ड के एमडी को भी मौजूद रहने को कहा गया है. पिछली सुनवाई के वक्त यह सभी अधिकारी कोर्ट में मौजूद नहीं थे. हाई कोर्ट में यह सुनवाई दोपहर के 2:15 मिनट पर शुरू होगी.
सरकारी वकील ने बाते की बिहार साकार की तरफ से कोर्ट में हलफनामा दायर किया जा चुका है अब जिस पर कोर्ट को विचार करना है. उन्होंने कहा की कोर्ट में सरकार का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा. वहीं दूसरी तरफ याचिकाकर्ता के वकील शेखर सिंह ने कहा की सरकार की तरफ से हमें जो जवाब मिला है उसका जवाब हम कोर्ट में देंगे.
यह पूरा मामला आशियाना दीघा रोड के पश्चिम 400 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री और अधिग्रहण से जुड़ा है. जो की वर्ष 1974 से ही चल रहा है. 1974 में आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ में आवासीय परिसर बनाने का फैसला लिया था. बोर्ड ने यहां की जमीन को अधिग्रहित किया था. परंतु मुआवजा नहीं देने के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया था. सुप्रीम कोर्ट ने आवास बोर्ड को भेदभाव दूर कर मुआवजा देने का निर्देश दिया था. परंतु इस पर आवास बोर्ड की तरफ से आजतक अमल नहीं किया गया.
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जिस वक्त इस जमीन का अधिग्रहण किया गया था इसकी कीमत 2000 रुपये प्रति कट्ठा थी और किसानों को उतना ही मुआवजा मिलना था. जिसके लिए 28 जनवरी 1982 को जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के यहां 8,33,43,958 रुपए जमा कराए गए लेकिन तबतक समितियों ने दीघा की 20 फीसदी से अधिक जमीन की खरीद-बिक्री कर ली थी. यह खरीद-बिक्री पटना और हाजीपुर निबंधन कार्यालय हुई. इसके बाद सरकार ने खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी थी. इसके बाद यहां जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी गई थी.
दीघा की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक होने के बावजूद भू-माफिया यहां पावर ऑफ एटर्नी और एग्रीमेंट कर जमीन की खरीद बिक्री कर रहे थे. जिसके बाद कोर्ट में इस मामले को लेकर लंबी लड़ाई चली और फिर कोर्ट ने इस इलाके के घरों को तोड़ने का आदेश जारी कर दिया. जब पिछले दिनों प्रशासन ने घर तोड़ने की कार्यवाही शुरू की तो बवाल मचा और एक बार फिर स्थानीय लोग पटना हाई कोर्ट पहुंच गए. हाई कोर्ट ने शुरुआती राहत देते हुए आज की सुनवाई तक को स्टेटस बरकरार रखने के लिए कहा है.