बेगूसराय के साहेबपुरकमाल प्रखंड क्षेत्र के कीर्तिटोल आहोक घाट और विष्णुपुर आहोक पंचायत के बीच गंडक नदी पर नवनिर्मित पुल का उद्घाटन से पूर्व धाराशायी हो जाने से ग्रामीण कार्य विभाग में हड़कंप मच गया है. घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री के निर्देश पर पटना की एक टीम घटनास्थल पर पहुंच कर घटना की जांच की. जांच टीम ने अपना काम पूरा कर वापस लौटने के क्रम में न तो जनता और न ही मीडियाकर्मी के किसी सवाल का जवाब दिया. हालांकि, मौके पर ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता ने इतना जरूर कहा कि पुल निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी हुई है. इसकी जांच कर नियमानुकूल जो भी आवश्यक होगी, वह कार्रवाई की जायेगी. जांच टीम के पहुंचते ही स्थानीय लोगों ने उन्हें घेर लिया और दोषी को कठोर सजा दो के नारे लगाने लगे थे.
मुख्यमंत्री नाबार्ड योजना से रहुआ पंचायत के कीर्तिटोल आहोक घाट और विष्णुपर आहोक पंचायत के बीच बूढ़ी गंडक नदी पर 1343.32 लाख की लागत से 206 मीटर लंबी आरसीसी पुल का निर्माण कार्य करीब दो वर्ष पूर्व पूरा हो गया. पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने के बाद पुल पर हल्के वाहनों का आवागमन शुरू हो गया. इसी बीच चार दिन पूर्व 15 दिसंबर को सुबह पुल का दक्षिण ओर कीर्तिटोल आहोक घाट के समीप पूल अचानक क्रेक कर गया और करीब एक फुट धंस गया. पुल की दूसरी और तीसरी पिलर के बीच दरार आ जाने से पुल के टूटने की संभावना प्रबल हो गयी थी. सूचना मिलने पर पटना से एक टीम आकर जांच की और जांच प्रतिवेदन उच्चाधिकारी को सौंपने की तैयारी ही कर रहे थे कि रविवार की सुबह पुल ध्वस्त हो जाने की खबर मिल गयी, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया.
पुल का उद्घाटन से पूर्व ही टूट कर नदी में समा जाने की घटना को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्र के विधायक सतानंद संबुद्ध उर्फ ललन यादव ने ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री को पत्र लिख कर दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने और ठोस पुल का निर्माण शीघ्र करने की मांग की है. क्षतिग्रस्त पुल पर आवागमन को पूर्णतः ठप करने के लिए दोनों तरफ बांस का बैरिकेडिंग लगा कर चौकीदार को प्रतिनियुक्त कर दिया गया है.
पुल टूटने के बाद सबसे अधिक प्रभावित विष्णुपुर आहोक पंचायत के मुखिया सुबोध यादव ने इसे दुखद बताते हुए कहा है कि जब पुल का निर्माण कार्य चल रहा था, तब हमने कई बार गुणवत्ता को लेकर आपत्ति जतायी थी. मेरे द्वारा आपत्ति या विरोध किये जाने के चलते ठेकेदार द्वारा तीन बार थाने में आवेदन देकर रंगदारी की मांग करने और कार्य में बाधा करने का आरोप लगाया गया. आवेदन देने के बाद बलिया एडीपीओ और एसडीओ यहां आकर हमको बताया जाता था कि कार्य अच्छा हो रहा है, आप क्यों विरोध करते हैं. इस पर हम विवश हो जाते थे.
मुखिया ने बताया कि जब हम खड़ा होकर काम करवाते थे तो काम ठीक ढंग से हो रहा था जब हम चले जाते थे, तो कार्य में गड़बड़ी होने लगती थी और घटिया कार्य करने का नतीजा है कि कम समय में ही पुल टूट गया. उन्होंने बताया कि पुल टूटने से सबसे अधिक विष्णुपुर आहोक पंचायत के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि इस पंचायत के 90 प्रतिशत लोगों की खेती उस पार होती है. खाद बीज ले जाना,फसल,पशुचारा खेत से लाना दुष्कर हो गया है.
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पुल टूटने के बाद कीर्तिटोल आहोक घाट और विष्णुपुर आहोक पंचायत के लोगों को आर-पार होने के लिए कम से कम चार सरकारी नाव चलवाने की मांग जोर-शोर से शुरू हो गयी है. इस पर विधायक प्रतिनिधि ने विधायक के निर्देश पर दोनों गांवों के लोगों की जरूरत को देखते हुए तत्काल दो नाव की व्यवस्था कर दी है.