पटना विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली बनाने में डॉ आरके सिन्हा जैसे शिक्षकों का रहा योगदान

पटना विश्वविद्यालय में 1952 से 1978 तक डॉ आरके सिन्हा ने अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष रहते हुए पठन पाठन एवं शोध कार्यों द्वारा पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त किया. वो 1946 में शोध कार्य करने लंदन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गये थे जहां से वो 1950 में वापस लौटे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2022 5:00 AM
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पटना. डॉ आरके सिन्हा 1937 में पटना कॉलेज में व्याख्याता नियुक्त हुए तथा 1946 में शोध कार्य करने लंदन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गये थे. उन्होंने क्राइस्ट चर्च, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डेविड सेसिल के मार्गदर्शन में लिट्रेरी इनफ्लूएंसेस ऑन डीएच लॉरेंस विषय पर 1949 में शोध प्रबंध जमा किया तथा 1950 में वापस आये थे. 1952 से 1978 तक उन्होंने अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष रहते हुए पठन पाठन एवं शोध कार्यों द्वारा पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त किया. उनके जैसे शिक्षकों के कारण ही पटना विश्वविद्यालय का इतिहास गौरवशाली रहा है. ये बातें शनिवार को पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश कुमार चौधरी ने कही

पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश कुमार चौधरी पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ आरके सिन्हा की पुण्यतिथि पर आयोजित डॉ आरके सिन्हा मेमोरियल लेक्चर के अवसर पर बोल रहे थे. लेक्चर का आयोजन डॉ आरके सिन्हा मेमोरियल कमेटी एवं अंग्रेजी विभाग, पटना विश्वविद्यालय के तत्वावधान में किया गया था. इस विषय था डीएच लारेन्स एंड द पोयट्री ऑफ सोलर प्लेक्स. इस लेक्चर का उद्घाटन पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश कुमार चौधरी ने किया.

वहीं आरके सिन्हा मेमोरियल के सचिव डॉ समीर कुमार शर्मा ने डॉ सिन्हा के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं अंग्रेजी में उनके योगदान व शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं के ऊपर उनके प्रभाव पर प्रकाश डाला. मुख्य वक्ता बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ राम आश्रय यादव ने डीएच लॉरेंस की कविताओं, उनके भावनात्मक तत्वों एवं मनुष्यों पर शारीरिक एवं मानसिक प्रभाव पर विस्तार से चर्चा किया.

वहीं मुख्य अतिथि बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व कुलपति डॉ केपी सिंह ने डॉ आरके सिन्हा के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कविता एवं मनुष्य के बीच के संबंधों को रेखांकित किया. विशिष्ट अतिथि पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ शिव जतन ठाकुर ने डॉ सिन्हा के शिक्षकीय गुणों की चर्चा की तथा उसी तरह का पठन पाठन का माहौल बनाने पर बल दिया.

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