पटना : कभी इस्ट का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले पटना विश्वविद्यालय आज शैक्षणिक गुणवत्ता के ऑल इंडिया रैकिंग के लिए भी काबिल नहीं है. गुरूवार को नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिग फ्रेमवर्क जारी होने के बाद जब प्रभात खबर ने पड़ताल की तो पता चला कि पीयू पीछले पांच सालों से जब से रैंकिग की शुरूआत हुई तबसे अबतक एक बार भी आवेदन नहीं किया है.नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआरआइएफ) के लिए बिहार से मात्र सात शिक्षण संस्थानों ने आवेदन किया था. बाकी शिक्षण संस्थानों ने आवेदन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये. 103 साल पुरानी पटना यूनिवर्सिटी जो हमेशा से सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मांग करता रहा है वह भी एनआरआइएफ के लिए आवेदन नहीं किया था. बिहार से मात्र आइआइटी पटना, एनआइटी पटना, एएन कॉलेज, सीएम कॉलेज दरभंगा, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार गया, जगजीवन कॉलेज आरा, विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पूर्णिया ने एनआरआइएफ में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था. अब रैंकिंग में शामिल होने के लिए बाकी शिक्षण संस्थानों ने आवेदन ही नहीं किया तो वह रैंकिंग में कैसे शामिल हो सकता है.
देश के 100 सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में बिहार का एक मात्र शिक्षण संस्थान आइआइटी पटना ही स्थान बना पाया है. इसके अलावा बिहार के एनआइटी पटना टॉप 200 में अपना स्थान बना पाया है. एएन कॉलेज पटना को छोड़ कर बिहार का कोई भी शिक्षण संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआरआइएफ) रैंकिंग 2020 में शामिल होने के लिए आवेदन नहीं किया था. बिहार के लोगों को पटना यूनिवर्सिटी (पीयू) से काफी उम्मीद थी, लेकिन पीयू ने इसके लिए आवेदन नहीं किया था. सितंबर 2019 में आवेदन करने का मूड पीयू प्रशासन ने बनाया था. लेकिन रिसर्च वर्क और प्रोजेक्ट नहीं रहने के कारण पीयू ने अपना पैर पीछे खींच लिया. एनआरआइएफ में नालंदा विश्वविद्यालय भी शामिल नहीं हुआ था. विशेषज्ञों ने कहा कि शामिल होने के बाद भी रैंक का पता चलता है. जब-तक शामिल नहीं होंगे तो किस आधार पर आपकी क्षमता को आंका जायेगा. इसलिए आवेदन करना जरूरी है. इस मामले में एएन कॉलेज पटना ने बेहतर कदम उठाया.
टीचिंग, लर्निंग, रिसर्च से मिलता है बेहतर रैंक
एनआइआरएफ रैंकिंग के तहत टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रेक्टिस, स्नातक आउटकम्स, आउटरिच एंड इनक्लूसीविटी व पीयर परसेप्शन मापदंडों पर विश्वविद्यालयों को आंका जाता है. इन सभी मापदंड के आधार पर ही रैंक जारी किया जाता है. आइआइटी और एनआइटी के पास ही यह सभी सुविधा रहने के कारण आवेदन दिया था.
रिसर्च और प्रोजेक्ट नहीं रहने के कारण नैक रिजल्ट पर पड़ा था असर
पीयू की उपलब्धियों में लगातार गिरावट आयी है. नैक ग्रेड भी पिछले वर्ष पीयू को बी प्लस ग्रेड मिला था. 103 वर्ष पुराने यूनिवर्सिटी को बी प्लस ग्रेड मिलने से भी मायूसी हाथ लगी थी. रिसर्च और प्रोजेक्ट वर्क नहीं रहने के कारण ही नैक में भी बेहतर प्रदर्शन पीयू का नहीं रहा.
कुछ कमियों के कारण नहीं किया गया आवेदन
पीयू के पूर्व कुलपति प्रो रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि सितंबर में आवेदन करने पर विचार किया गया था, लेकिन उन समय एनआरआइएफ रैंकिंग में आवेदन करने के नियम शर्त के दो-तीन प्वाइंट पर हम कमजोर थे. इस पर कई बार बातचीत हुई थी, लेकिन अंत में यह फैसला लिया गया कि सितंबर 2020 में पीयू इसके लिए आवेदन करेगा. उस दौरान पीयू के पास प्रोजेक्ट वर्क नहीं था. रिसर्च की कमी थी. अब पीयू के पास कई प्रोजेक्ट भी आ गये हैं. अब पीयू 2020 में आवेदन करेगा. बेहतर प्रदर्शन भी करेगा.
एकेडमिक पहलू को करना होगा मजबूत
50 वर्षों तक पीयू को करीब से देखने वाले प्रो कृतेश्वर प्रसाद ने कहा कि वर्तमान स्थिति को मजबूत करना होगा. रिसर्च वर्क पर ध्यान देना होगा. भवन से नहीं शिक्षक और शिक्षण कार्य से शिक्षण संस्थान जाना जाता है. लगातार शिक्षकों की कमी से भी परेशानी उत्पन्न हुई है. एकेडमिक पहलू को मजबूत करना होगा.
एनओयू और पीयू सितंबर में करेगा एनआरआइएफ रैंकिंग में शामिल होने के लिए आवेदन
नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी (एनओयू) के और पीयू के कुलपति प्रो एचएन प्रसाद ने कहा कि एनआरआइएफ के नियम व शर्तों को देखा जायेगा. अगर एनओयू शामिल होने की योग्यता रखता है तो जरूर शामिल होगा. इसके लिए अभी से तैयारी भी की जायेगी.
पीयू में स्टाफ की है कमी
प्रो एचएन प्रसाद ने कहा कि पीयू में कमियां है. स्टाफ नहीं है. स्टाफ नहीं होने का असर सभी चीजों पर पड़ता है. रिसर्च को बढ़ावा दिया जायेगा. लैब को सही किया जायेगा. सुधार की कोशिश जारी रहेगी. सितंबर में जरूर आवेदन किया जायेगा. बेहतर रैंक के लिए लगातार सभी मिल कर प्रयास करेंगे.
परंपरागत शिक्षा देने वाले यूनिवर्सिटी पीछे, तकनीकी संस्थान रहे आगे
इस बार एनआइआरएफ ने दस कैटेगरी में रैंकिंग जारी की है. सबसे बेहतर स्थिति इंजीनियरिंग कॉलेजों की है. इसमें आइआइटी पटना और एनआइटी पटना दोनों को जगह मिली है. ओवर ऑल कैटोगरी में आइआइटी पटना 54वें स्थान पर है, जबकि पिछले साल 58वें स्थान पर था. वहीं, एनआइटी पटना भी ओवरऑल कैटेगरी में टॉप 200 संस्थानों में जगह बनाया है. लेकिन अपनी कैटेगरी में आइआइटी पटना पीछे हो गया और एनआइटी ने कुछ सुधार किया है.
इंजीनियरिंग कैटेगरी में आइआइटी इस बार हो गया पीछे
आइआइटी पटना को इंजीनियरिंग कॉलेजों की कैटोगरी में 26वां स्थान मिला है. जबकि 2019 की रैंकिंग में आइआइटी पटना को 22वां स्थान मिला था. वहीं, ओवरऑल कैटेगरी में 2017 में आइआइटी पटना को 83वां स्थान मिला था जबकि 2018 में 69वां स्थान प्राप्त हुआ था. 2019 की ओवरऑल रैंकिंग में आइआइटी पटना को 58वां स्थान मिला था और अब 2020 की रैंकिंग में 54वां स्थान मिला है. दूसरी ओर इस एनआइआरएफ की रैंकिंग में एनआइटी पटना की रैंकिंग में बड़ा सुधार हुआ है. पिछले साल इंजीनियरिंग कॉलेजों की सूची में एनआइटी पटना 134वें स्थान पर रहा था. लेकिन इस बार इसी सूची में एनआइटी को 92वां स्थान प्राप्त हुआ है. हालांकि 2016 में जारी हुई रैंकिंग में एनआइटी पटना को 87वां स्थान मिला था. इसके बाद 2017 और 2018 की रैंकिंग में एनआइटी पटना को जगह ही नहीं मिली थी.