Tikuli Artist: पटना की मुस्लिम बेटी ने हिंदू देवी-देवताओं की पेंटिंग बनाकर बनाई पहचान, जानें कैसे बनी मशहूर कलाकार
Tikuli Artist: बिहार की एक समृद्ध और अनूठी कला है टिकुली पेंटिंग और इसकी एक प्रतिभाशाली कलाकार हैं शबीना इमाम. टिकुली पेंटिंग में हिंदू देवी देवताओं की तस्वीर बनती है ऐसे में शबीना को मुस्लिम होने की वजह से कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है. पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश...
Tikuli Artist: दीघा पटना की रहने वाली शबीना इमाम की गिनती आज बिहार के नामचीन टिकुली कलाकारों के रूप में होती है. टिकुली कला बिहार की एक अनूठी कला है, जो अपने आप में एक समृद्ध व गहरा पारंपरिक इतिहास समेटे हुए है. वे इस कला के जरिए हिंदू-देवी देवताओं की अद्भुत तस्वीरें बनाती हैं. शुरुआत में ऐसा करने पर मुस्लिम होने के नाते उनका विरोध भी हुआ, लेकिन शबीना ने इसकी परवाह नहीं की. उनका मानना है कि कलाकार की न कोई जाति होती है और न ही उसका कोई धर्म, वह तो बस अपनी कला में डूबा होता है. इन्होंने इसकी शुरुआत फाइन आर्ट से की. लेकिन जब चित्रकार अशोक कुमार विश्वास मिलीं, तो वहां उन्होंने टिकुली पेंटिंग को देखा और उसी समय से इसमें दिलचस्पी बढ़ने लगी.
Q. आप टिकुली आर्ट से कैसे जुड़ीं ?
मेरी शुरुआत से ही आर्ट में रुचि थी. मैं फाइन आर्ट्स सीखने के लिए पद्मश्री अशोक कुमार विश्वास के पास गयी थी. उनके पास जब मैं फाइन आर्ट सीख रही थी, तभी मैंने उन्हें टिकुली आर्ट को बनाते देखा और उसी समय से इसमें मेरी दिलचस्पी बढ़ने लगी. उसी वक्त एक दिन टिकुली कलाकार के तौर पर अशोक सर का दूरदर्शन के लिए इंटरव्यू होने वाला था. टीम आने वाली थी, तो उन्होंने हम सभी कहा था कि आप लोग भी आज टिकुली आर्ट तैयार करेंगी. उनके कहने पर पहली बार मुझे इस कला से रू-ब-रू होने का मौका मिला. मैं साल 2002 से इस कला से जुड़ी हूं. मैं मुख्य रूप से हिंदू पौराणिक कथाओं पर टिकुली पेंटिंग बनती हूं.
Q. आप जिस कल्चर से आती हैं, इसमें टिकुली कला कोई नहीं करता है. ऐसे में आपको किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जब मैंने फाइन आर्ट्स सीखना शुरू किया था, तभी से ही चुनौतियां आनी शुरू हो गयी थी. हमारी ज्वाइंट फैमिली है. ऐसे में हमारे कल्चर में चित्रों को उकेरने की अनुमति नहीं है. सभी ने पेंटिंग करने से रोका, लेकिन पापा का काफी सहयोग मिला. शुरुआत में टिकुली पेंटिंग में प्रकृति और गांव की संस्कृति बनाती थी. फिर बाद में हिन्दू संस्कृति के देवी-देवताओं को बनाना शुरू किया. उस वक्त मेरे कजिन से नाते-रिश्तेदार तक सभी लोगों ने आपत्ति जतायी, लेकिन पापा का साथ मिलने से मैं काम करती रही. मैं घर की पहली बेटी हूं जो कला के क्षेत्र से जुड़ी और बाहर जाकर एग्जीबिशन का हिस्सा बनी. जब किसी एग्जीबिशन में जाती, तो पीठ पीछे मेरे किरदार को लेकर सभी बात करते जो मानसिक तौर पर काफी तनावपूर्ण होता था, लेकिन मैंने बस खुद को शांत रखा.
Q. स्टेट अवार्ड मिलने के बाद का सफर कैसा रहा?
साल 2015 में सीएम नीतीश कुमार ने मुझे स्टेट अवार्ड से नवाजा था. जिसके बाद मेरी इस उपलब्धि को मीडिया में कवर किया गया, जिससे काफी एक्सपोजर मिला. जहां पहले कहीं बाहर जाकर एग्जीबिशन लगाना होता था, किसी रेफरेंस से होता था लेकिन इसके बाद वह सीधे एप्रोच करने लगें. आज के समय में एमएसएमइ, उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, स्पीक मैके, विद्युत भवन जैसे बड़ी संस्थाओं की ओर से प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता है.
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Q. आपकी बनायी पेंटिंग कहां-कहां जाती हैं?
मुझे मेरी पेंटिंग्स का ऑर्डर सोशल मीडिया, जान-पहचान वाले और एग्जीबिशन से ज्यादा आते हैं. बिहार के अलावा पूरा साउथ और नॉर्थ में नयी दिल्ली, यूपी, कोलकाता आदि जगहों पर मेरी पेंटिंग्स जा चुकी हैं. हाल ही मैंने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत खुद का स्टार्टअप शुरू किया है. इस सफर में ससुराल वाले हर वक्त मेरे साथ रहे हैं.
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