21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समझौते के अनुसार ब्याज कम नहीं करने पर लगा जुर्माना

एचडीएफसी बैंक के शाखा प्रबंधक (ओपी 2) व हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के रेजिडेंट मैनेजर (ओपी 3) पर सेवा में कमी पाये जाने पर जुर्माना लगाया है

संवाददाता, पटना जिला उपभोक्ता आयोग ने 17 साल सें लंबित मामले पर एग्जीबिशन रोड स्थित एचडीएफसी बैंक के शाखा प्रबंधक (ओपी 2) व हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के रेजिडेंट मैनेजर (ओपी 3) पर सेवा में कमी पाये जाने पर जुर्माना लगाया है. दरअसल, खाजपुरा निवासी शंभू प्रसाद सिंह ने विपक्षी पार्टी से फ्लैट खरीदा. लेकिन, उनसे समझौते की शर्तों के बावजूद अधिक ब्याज दर वसूल की गयी. जबकि, ओपी 2 ने शिकायतकर्ता को एक कूपन दिया था जिसमें तीन फीसदी ब्याज कम लिए जाने की बात कही गयी थी. लेकिन, जब ओपी 3 से 7.31 लाख लोन लिया तो ब्याज कम नहीं किया. आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा व सदस्य रजनीश कुमार ने पाया कि शिकायतकर्ता की ओर से वकील और ओपी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ. आयोग ने 1.50 लाख रुपये छह फीसदी साधारण ब्याज के साथ मानसिक पीड़ा के लिए 40 हजार व मुकदमे की लागत के रूप में 10 हजार का भुगतान 60 दिनों के भीतर करने का आदेश दिया. 24 घंटे में चालू नहीं हुआ सिमकार्ड, लगा 21 हजार रुपये का जुर्माना समय सीमा के अंदर सिम कार्ड चालू नहीं किये जाने पर टेलीकॉम कंपनी के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग ने फैसला सुनाया है. मामला 21 अक्तूबर, 2022 का है. जब बेली रोड के रहने वाले डॉ कुमार गौरव ने वीआइ का सिम 300 रुपये में खरीदा. साथ ही दुकानदार को समय पर सेवा शुरू करने के लिए 1500 रुपये अतिरिक्त दिये. लेकिन, सिम को चालू नहीं किया गया, जबकि कंपनी के नियम के अनुसार पोस्टपेड सेवा इंस्टॉलेशन के 24 घंटे के अंदर शुरू की जानी थी. जब एक माह में भी इस पर कोई काम नहीं हुआ, तब वह टेलीकॉम कंपनी के नजदीकी कार्यालय में पहुंचे, तो वहां नया प्लान लेने का सुझाव दिया गया. इसके बाद डॉ गौरव ने उपभोक्ता आयोग में नवंबर, 2023 में शिकायत की. इसमें बताया गया कि वह पेशे से डॉक्टर हैं. उन्होंने अपने नंबर को कई मरीजों के बीच प्रसारित किया है. पुराने सिम को बदला नहीं जा सकता है. इस पर कंपनी ने अपने पक्ष में कुछ भी नहीं कहा. इसके बाद आयोग के अध्यक्ष बिधु भूषण पाठक व सदस्य रजनीश कुमार ने कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए छह फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ शुल्क 1800 रुपये व मानसिक, शारीरिक, आर्थिक उत्पीड़न और मुकदमेबाजी की लागत के रूप में 21 हजार रुपये 60 दिनों में भुगतान करने का आदेश दिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें