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पटना म्यूजियम में अब इतिहास को नए रूप में देख सकेंगे दर्शक, 158 करोड़ की लागत से बन रही नई बिल्डिंग

पटना म्यूजियम में अब नई तकनीक का उपयोग करके लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जाएगा. जिसके लिए 158 करोड़ की लागत से बन रही नई बिल्डिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2022 2:50 PM

पटना म्यूजियम में अब नई तकनीक का उपयोग करके लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जाएगा. यहां लोग ऑडियो वीडियो के माध्यम से इतिहास के अलग-अलग काल को देख सकेंगे. इसके लिए 158 करोड़ की लागत से बन रही बिल्डिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है. इसमें छह गैलरियां मौजूद होंगी जिसमें गंगा की कहानी से लेकर पाटलिपुत्र के सामाजिक ताने-बाने भी देखने का दुख का मौका मिलेगा.

सौंदर्यीकरण के लिए तीन कंपनियों को जिम्मेदारी

पटना म्यूजियम में गैलरियों के सौंदर्यीकरण कार्य के लिए तीन कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. ये कंपनियां आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके म्यूजियम की गैलरियों को आकर्षक बनायेंगी. इसके लिए द्रोण, सिक्का और बतुल राज एंड मेहता कंपनी को काम सौंपा गया है.

कई कलाकृतियां मौजूद रहेंगी

बिल्डिंग की छह गैलरियों में राजेंद्र प्रसाद के जीवन से जुड़ी चीजें दर्शकों को देखने को मिलेंगी. इसके साथ ही पेंटिंग की एक अलग गैलरी होगी जिसमें विभिन्न कलाओं की पेंटिंग होंगी. साथ ही नेचुरल हिस्ट्री में जानवरों और इंसानों से जुड़ी कई कलाकृतियां मौजूद रहेंगी. आखिर में गंगा और पाटलिपुत्र की एक गैलरी होगी जिसमें गंगा के किनारे और पाटलिपुत्र में लोग कैसे जीवनयापन करते हैं यह देखने को मिलेगा.

100 साल का इतिहास

पटना संग्रहालय के अपर निदेशक डॉ. विमल तिवारी ने बताया कि पटना संग्रहालय में पिछले 100 साल का इतिहास मौजूद है. यहां लोगों को करीब 20 हजार से अधिक कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. संग्रहालय में बच्चों और अन्य दर्शकों को बेहतर तरीके से इतिहास समझने के लिए इंटरएक्टिव स्क्रीन का इस्तेमाल किया जाएगा. बिल्डिंग का डिजाइन लोगों की सहूलियत को देखते हुए बनाया गया है ताकि लोगों को गाइड की आवश्यकता न पड़े.

नए डिस्प्ले के माध्यम से दिखाया जाएगा

संग्रहालय में कलाकृतियों को नए डिस्प्ले के माध्यम से दिखाया जाएगा जहां उसके साथ ही कलाकृति से जुड़ी अहम अहम जानकारी भी मौजूद होगी. पहले यहां कलाकृति के पास उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां नहीं होती थी, लेकिन अब सेकेंडरी सोर्स का इस्तेमाल कर हर कलाकृति को दर्शक समझ सकेंगे. इसके साथ ही पुरानी बिल्डिंग का कन्वर्जेस का भी काम होना है.

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