पटना. राज्य में जाति आधारित गणना राज्य सरकार जल्द शुरू करवायेगी. इसके लिए बुधवार को सर्वदलीय बैठक में सहमति बन गयी. जाति आधारित गणना के माध्यम से राज्य के सभी धर्मों व संप्रदायों के प्रत्येक व्यक्ति के बारे में हर तरह की जानकारी इकट्ठी की जायेगी. जाति के साथ उपजाति, निवास स्थान, घर सहित अमीर और गरीब की भी जानकारी जुटायी जायेगी. इसका मकसद राज्य में उपेक्षित वर्गों और व्यक्तियों की पहचान कर उनका विकास करना है.
4 देशरत्न मार्ग स्थित ‘संवाद’ मुख्यमंत्री सचिवालय में शाम चार बजे से छह बजे तक चली सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि इसका नाम ‘जाति आधारित गणना’ होगा. बैठक में मुख्यमंत्री समेत जदयू, भाजपा, हम, राजद, कांग्रेस, भाकपा, भाकपा-माले, माकपा, एआइएमआइएम के 16 प्रतिनिधि शामिल हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना करवाने में राज्य सरकार खर्च करेगी.
अब सर्वदलीय बैठक में सहमति के बाद इसे कैबिनेट में पेश कर खर्च की जाने वाली राशि की मंजूरी ली जायेगी. साथ ही इसके लिए समय सीमा तय की जायेगी. इसके लिए कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि अलग-अलग जातियों में अनेक उपजातियां हैं. जाति व उपजाति सभी की गणना की जायेगी. हमलोगों का मकसद सभी का विकास करना, उन्हें आगे बढ़ाना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से इसका प्रस्ताव पास किया जा चुका है. इसके बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना करवाने का प्रस्ताव रखा था. उस पर पीएम ने कहा था कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर नहीं किया जा सकता है, राज्य स्तर पर किया जा सकता है.
आज सभी राज्य इस पर विचार कर रहे हैं. अगर सभी राज्यों में यह हो जायेगी, तो राष्ट्रीय स्तर पर ऑटोमेटिक हो जायेगी. हमलोग जातीय गणना को बिहार में बहुत अच्छे ढंग से करना चाहते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वदलीय बैठक कर जातीय जनगणना का निर्णय पहले ही ले लिया जाता, लेकिन विधान परिषद और स्थानीय निकाय चुनावों की वजह से इसमें विलंब हुआ.
सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा राजद से तेजस्वी यादव व मनोज झा, जदयू से मंत्री विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव व श्रवण कुमार, भाजपा से उपमुख्यमंत्री तारकिशाेर प्रसाद और प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, हम से पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, भाकपा माले से महबूब आलम, भाकपा से रामनरेश पांडेय व रामरतन सिंह, माकपा से ललन चौधरी व अजय कुमार, कांग्रेस से अजीत शर्मा और एआइएमआइएम के अख्तरुल ईमान शामिल हुए़
पटना. राज्य कैबिनेट की बैठक गुरुवार को शाम पांच बजे बुलायी गयी है. सर्वदलीय बैठक में शामिल दलों के प्रतिनिधियों ने बताया कि गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित गणना के प्रस्ताव पर सहमति दी जायेगी. साथ ही इस पर होनेवाले खर्च की राशि पर भी मुहर लगेगी. उन्होंने बताया कि चर्चा में यह बात आयी है कि सामान्य प्रशासन की ओर से जाति आधारित गणना करायी जायेगी. अन्य मुद्दों पर भी मुहर लगेगी.
जाति आधारित गणना के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके शुरू होने के बाद सब कुछ पब्लिक डोमेन में उपलब्ध होगा. इसे हर कोई देख सकेगा. इसके बारे में समय-समय पर राजनीतिक दलों सहित मीडिया को जानकारी दी जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट से पास होने के बाद इसके बारे में विज्ञापन दिया जायेगा. सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रचारित किया जायेगा. इसका मकसद आम लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाना है.
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जातीय व उपजातीय गणना के कारण किसी रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाये, जो बाद में नागरिकता को आधार बने.
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यह भी देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं, वे इस गणना की आड़ में पिछड़े या अति पिछड़े नहीं बन जाएं. ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं, जिनके कारण पिछड़ों की हकमारी होती है.
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देश में सरकारी तौर पर 3747 जातियां हैं, जबकि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिये हलफनामे में बताया कि 2011 के सर्वे में जनता ने 4.30 लाख जातियों का ब्योरा दिया है. ऐसा यहां नहीं हो, इसके लिए सावधानी बरतने की जरूरत है.
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राज्य सरकार वहन करेगी खर्च
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जाति आधारित जनगणना की समय सीमा भी होगी निर्धारित
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विज्ञापन के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जायेगी
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इस जनगणना के लिए कर्मियों को दिया जायेगा प्रशिक्षण