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पटना में धूल से लोग हो रहे अस्थमा के शिकार

अब तक धारणा थी कि धुएं के कारण लोग अस्थमा के शिकार होते हैं. लेकिन हाल के दिनों में पटना शहर पीएम 2.5 यानी महीन धूलकण व धुएं के कारण ज्यादा लोग अस्थमा से पीड़ित हो रहे हैं.

संवाददाता, पटना : सिगरेट व बीड़ी से जो लोग दूर हैं, वे भी अस्थमा के शिकार हो रहे हैं. अब तक धारणा थी कि धुएं के कारण लोग अस्थमा के शिकार होते हैं. लेकिन हाल के दिनों में इस बीमारी से परेशान मरीजों की संख्या बढ़ी है. खासकर पीएम 2.5 यानी महीन धूलकण व धुएं से ज्यादा लोग बीमार हो रहे हैं. पहले से जो अस्थमा या दमे के मरीज हैं, उनकी बीमारी और अधिक बढ़ रही है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, पटना एम्स व एनएमसीएच के टीबी व चेस्ट (पल्मोनरी) विभाग के ओपीडी में आने वाले हर 100 में 10 मरीज ऐसे हैं, जो अस्थमा की चपेट में हैं. डॉक्टरों के अनुसार करीब 45 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं, जो सीधे तौर पर वायु प्रदूषण के शिकार हैं. बच्चों में मोटापे की वजह से बढ़ा अस्थमा का खतरा : बड़े व बुजुर्गों के अलावा बच्चे भी अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार बच्चों में बढ़ते मोटापे की वजह से अस्थमा की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. समय पर इलाज से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. मरीज सामान्य लोगों की तरह जीवन जी सकता है. आइजीआइएमएस मेडिसिन विभाग के डॉ संतोष कुमार ने कहा कि सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न या दर्द सांस छोड़ते समय सीटी बजना, घरघराहट, सोने में परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

छह साल में दोगुने हुए मरीज

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बताया कि अस्थमा के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. उन्होंने कहा कि 2013 में विश्व भर में जब मरीजों की गणना हुई तो 1.7 करोड़ मरीज थे. 2019 में मरीजों की संख्या दोगुनी होकर 3.4 करोड़ हो गयी. चिंता की बात यह है कि दो तिहाई मरीजों को अस्थमा के बारे में पता नहीं होता. वहीं पीएमसीएच के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ सुभाष झा ने बताया कि तीन दवाओं से तैयार एक इन्हेलर आ गया है. जो बीमारी काबू करने में और कारगर है.

ठंडी चीजों के सेवन से परहेज करें

पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ वैभव शंकर ने कहा कि अस्थमा रोगी ठंडी वस्तुओं के सेवन से परहेज करें. ठंडी चीजों के सेवन से अस्थमा ऊभर सकता है. खांसी के साथ संक्रमण हो सकता है. वहीं तंबाकू व धूम्रपान से बचें. धूलकण व प्रदूषण वाली जगह जाने से बचें. डॉ वैभव ने कहा कि अस्थमा से बिहार सहित देश में तीन करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. ज्यादातर की पहचान नहीं हो पाती.

बच्चों में बार-बार खांसी हो, तो सतर्क रहें

इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एनके अग्रवाल ने बताया कि बच्चों में बार-बार खांसी हो, तो सतर्क हो जाना चाहिए. चार साल की उम्र के बाद भी अगर यह समस्या है, तो फिर विशेषज्ञ की सलाह लें.

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