विधान परिषद में गुरुवार को पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर जमकर हंगामा हुआ. परिषद की कार्यवाही की शुरुआत में ही कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने राज्य में बढ़ती पेट्रोल-डीजल पर कार्यस्थगन की मांग रखी. जिसे कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने खारिज कर दिया.
इसके बाद तारांकित प्रश्न की शुरुआत हुई तो प्रेमचंद्र मिश्रा ने अपने प्रश्न में कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल पर 26 फीसदी या 16.65 रुपये प्रति लीटर में जो भी अधिक हो और डीजल पर 19 फीसदी या 12.33 रुपये प्रति लीटर में से जो भी अधिक हो, इतना कर लेती है. तो क्या राज्य सरकार अपने टैक्स में कटौती कर लोगों को राहत देने का काम करेगी. विधान परिषद सदस्य के जवाब देने के लिए वाणिज्य, कर विभाग के मंत्री मौजूद नहीं थे.
सवाल के साथ ही पूर्व लिखित जवाब दिया गया. विधान पार्षद के इस सवाल पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने उनका काउंटर किया और कहा कि आपने सवाल के साथ लिखित जवाब दिया गया है, यदि कोई पूरक प्रश्न हो तो वह पूछिये भाषण मत दीजिए. वहीं जदयू विधान पार्षद नीरज कुमार, भाजपा के विधान पार्षद संजय मयूख आदि लोगों ने सरकार पक्ष का बचाव किया. इस पर सदन में हंगामा हुआ.
टैक्स कम करने से कल्याकारी योजनाएं होंगी प्रभावित- पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राज्य सरकार की ओर से दिये गये लिखित जवाब में बताया गया कि एक अप्रैल 2021 को डीजल की खुदरा विक्रय मूल्य 86.12 प्रति लीटर थी, जो 19 जुलाई को बढ़ कर 95.51 प्रति लीटर हो गयी. इसी प्रकार पटना में एक अप्रैल को पेट्रोल के खुदरा विक्रय मूल्य 92.82 प्रति लीटर थी जो 19 जुलाई 21 को बढ़ कर 104.25 प्रति लीटर हो गयी है.
जवाब में कहा गया कि कोविड-19 के कारण आम जन-जीवन ही नहीं बल्कि राज्य का व्यवसाय व उद्योग भी प्रभावित हुआ है. पेट्रोल व डीजल के कर की दरों को कम किये जाने से लोक कल्याण के लिए चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित होंगी. वहीं वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की बढ़ रही कीमतों से टैक्स की कटौती का फायदा आम जनता को काफी अल्प अवधि के लिए उपलब्ध होगा.
Posted by: Avinish Kumar Mishra