पटना हाई कोर्ट ने गया के विष्णुपद मंदिर के मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा की यह मामला सिर्फ मंदिर प्रबंधन तक सीमित नही है बल्कि पूरे गया शहर के पर्यटन और पर्यावरण प्रबंधन के लिएभी है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार दोनों को आगे आना चाहिए .
कोर्ट ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को कहा की वह देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर प्रबंध समिति की तर्ज पर एक बड़ी स्कीम बनाने के लिये सोचें जो स्थानीय प्रशासन और पंडों के सहभागिता से चले. कोर्ट ने कहा कि इसके लिये केंद्र से समुचित राशि भी मिलनी चाहिये. इसी बात को लेकर कोर्ट ने अगली सुनवाई पर केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जेनेरल को भी कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने को कहा है.
चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की खण्डपीठ ने गौरव कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऊक्त बातें कही. कोर्ट ने बोर्ड के सदस्य एवम वरीय अधिवक्ता गणपति त्रिवेदी को अनुरोध किया कि वे पंडा समिति की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राय शिवाजी नाथ के साथ बैठ कर एक ऐसी स्कीम की रूपरेखा पर विचार करें जिसमे गया का सिर्फ विष्णुपद मंदिर ही नही बल्कि आस पास के पूरे क्षेत्र का पर्यटन के तौर पर विकास हो .
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इसका देखरेख वहां के ज़िला प्रशासन और स्थानीय पंडा समिति करे. खण्डपीठ ने कहा कि यह मामला किसी के जीत या हार का नही बल्कि व्यापक जनहित में पूरे बिहार के लिए है. इसके लिए ऐसी योजना बने जिसमे न सिर्फ विष्णुपद मंदिर बल्कि गया व फल्गु नदी के पर्यावरण और पर्यटन दोनों का समेकित विकास हो .
कोर्ट ने यह साफ तौर पर कहा कि स्कीम में वहां के स्थानीय पंडा की सहभागिता जरूरी है. उनके हित को हाई कोर्ट अनदेखा नही करेगा. कोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया की वह इस बात पर ध्यान दे कि गया शहर का गन्दा पानी सीवरेज के माध्यम से फल्गु नदी में नही गिरे साथ ही ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिये क्या करवाई अब तक कि गई है उसकी भी जानकारी अगली सुनवाई को कोर्ट में दें. सिलसिले में सरकार जवाब दे. इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी .
Posted By :Thakur Shaktilochan