पटना के नेचर कल्ब में 29 सालों से बिना मिट्टी के उगाये जा रहे हैं पौधे, आप भी जानें तकनीक

शहरीकरण के इस दौर में हरियाली के लिए मिट्टी वाली जगह कम होती जा रही है. आज बिना मिट्टी के हरियाली लाने की जरूरत आ पड़ी है. नयी तकनी के तहत अब बगैर मिट्टी के हर तरह के सजावटी पौधे, फूल और सब्जियां उगायी जा सकती हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2020 8:37 AM

पटना : शहरीकरण के इस दौर में हरियाली के लिए मिट्टी वाली जगह कम होती जा रही है. आज बिना मिट्टी के हरियाली लाने की जरूरत आ पड़ी है. नयी तकनी के तहत अब बगैर मिट्टी के हर तरह के सजावटी पौधे, फूल और सब्जियां उगायी जा सकती हैं. इस तकनीक का नाम जलकृषि विधि या हाइड्रोपोनिक्स विधि है. इसे सॉयललेस कल्चर भी कहा जाता है. हाइड्रोपोनिक्स एक ग्रीक शब्द है जो दो शब्दों से मिल कर बना है हाइड्रो प्लस पोनोस जिसमें हाइड्रो का मतलब पानी और पोनिस का मतलब काम करने वाला जिसे मिला कर हाइड्रोपोनिक्स नाम दिया गया है.

1991 में मो जावेद आलम ने पटना में की इसकी शुरुआत

कंकड़बाग स्थित नेचर क्लब ऑफ इंडिया,पटना के को-ऑर्डिनेटर मो जावेद आलम हाइड्रोपोनिक्स विधि को बढ़ावा दे रहे हैं. वे बताते हैं कि पटना में इसकी शुरुआत साल 1991 में की गयी थी. हाइड्रोपोनिक्स की कई विधियां हैं जिनमें पानी में पौधे उगाना(वाटर कल्चर), रेत या बालू में पौधे उगाना(सैंड कल्चर), नारियल की बुरादे से पौधे उगाना(कोकोपीट कल्चर) आदि शामिल हैं. वे बताते हैं कि आप इस विधि से घर में ऑर्नामेंटल प्लांट्स, फ्लावरिंग प्लांट्स और सब्जियों के पौधे आसानी से उगा सकते हैं. बायो-फर्ट-एम केमिकल की मदद से आप बीना मिट्टी के पौधे को सिर्फ पानी में भी उगा सकते हैं. इसकी मदद से आप कमरे, दीवार, बालकनी, ट्यूब, टेबल, विंडो और हैंगिंग गार्डन बना सकते हैं. इस जैविक खाद में पौधों को विकसित होने के लिए खाद, मिट्टी या सूर्य की रौशनी की जरूरत नहीं पड़ती है, इसलिए इस विधि का नाम गाडर्न विट आउटट फोर एस(सॉयल, सन, स्पेस एंड सर्विसेस) है.

अपने घर में ऐसे लगायें बिना मिट्टी के पौधे

गमलों में लगाये जानेवाले पौधे अब कम खर्च और सरल ढंग से जलकृषि विधि या फिर हाइड्रोपोनिक्स कल्चर के माध्यम से लगाये जा सकते हैं. इसमें पोषक के रूप में बायो-फर्ट-एम का भी व्यवहार होता है, जो एक तरल जैविक पौषाहार है. एक एमएल (30 बूंद) बायो-फर्ट-एम से एक लीटर घोल बनता है, जो 30-40 सेंटीमीटर तक उंचाई वाले पौधों के लिए एक वर्ष के लिए काफी होता है. अब इस घोल को एक ट्रांसपेरेंट ग्लास ट्यूब में डालें और पौधे को भी डालें. ट्रांसपेरेंट होने की वजह से आप पौधे की जड़ों को आसानी से बढ़ते हुए देखने के साथ-साथ इसकी लंबाई को भी माप सकते हैं. आप इसमें उन पौधे का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसकी शाखाएं दूबारा लगाने पर नये पौधे बन सकें जैसे कोलियस,संसगेरिया,एग्लोनिमा,पेनडेनस, टमाटर,पुदीना, धनिया पत्ती आदि.

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