पीएम मोदी ने पटना में संबोधन के दौरान पढ़े वेद के ये तीन मंत्र, अर्थ भी समझाया, जानें क्या दिये संदेश…

पीएम नरेंद्र मोदी जब मंगलवार को पटना पहुंचे तो कार्यक्रम के दौरान संबोधित भी किया. करीब 28 मिनट के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने वेद के तीन मंत्र भी पढ़े. उन्होंंने इसका अर्थ भी समझाया. जानें मंत्रों के बारे में...

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2022 10:28 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मंगलवार को पटना पहुंचे. यहां उन्होंने पूर्व में तय कार्यक्रम के अनुसार, विधानसभा परिसर में शताब्दी स्तंभ का उद्घाटन किया. पीएम ने बिहार विधानसभा संग्रहालय और अतिथिशाला का भी शिलान्यास किया. इस दौरान पीएम मोदी ने संबोधित भी किया. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने वेद के तीन मंत्रों को पढ़ा और उसका अर्थ समझाया. जानिये उन मंत्रों के बारे में…

वेद के तीन मंत्रों का किया जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने युवाओं के संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य विषय पर 28 मिनट का संबोधन दिया. अपने संबोधन में पीएम ने बिहार की माटी पर जन्मे कई विभूतियों का स्मरण किया. आजादी के पहले और बाद की घटनाओं से जोड़कर विधानसभा के इतिहास को याद किया. अपने संबोधन में पीएम ने जहां बिहार की तारीफ जमकर की वहीं उन्होंने तीन मंत्रों का भी जिक्र किया जिसका वर्णन वेदों में है.

मंत्रों का अर्थ भी बताया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में वेद के तीन मंत्र पढ़े. इन मंत्रों का अर्थ भी पीएम ने बताया. आइये जानते हैं नरेंद्र मोदी ने किन मंत्रों का जिक्र किया और इसके जरिये क्या संदेश देने की कोशिश की.

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पहला मंत्र

  • पीएम मोदी ने वेद के एक मंत्र का जिक्र करते हुए कहा ‘त्वां विशो वृणतां राज्याय त्वामिमाः प्रदिशः पञ्च देवीः’ यानि राजा को सभी प्रजा मिलकर खुद चुने और विद्वानों की समीति उसका निर्वाचन करे.

दूसरा मंत्र

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे वेदों ने यह भी मंत्र दिया है कि-‘संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांसि जानताम्’. इसका अर्थ भी पीएम ने बताया और कहा कि हम मिलकर चलें, मिलकर बोलें, एक दूसरे के मनों को, एक दूसरे के विचारों को जानें और समझें.

तीसरा मंत्र

  • पीएम ने कहा कि इसी वेद मंत्र में कहा गया है कि – ‘समानो मन्त्र: समिति: समानी, समानं मन: सह चित्तमेषां’ यानि- हम मिलकर समान विचार करें, हमारी समितियां, हमारी सभाएं और सदन कल्याण भाव के लिए समान विचार वाले हों, और हमारे हृदय समान हों.

Published By: Thakur Shaktilochan

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