17 साल की मेहनत के बाद तैयार हुए कोसी महासेतु का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन, 516 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पुल का जानें इतिहास…
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख जल्द ही घोषित होने की संभावना है. जिसके पहले बिहार चुनावी रंग में सजने लगा है. वहीं केंद्र के तरफ से भी कई योजनाओं की सौगात लगातार बिहार को मिल रही है. इसी क्रम में पीएम मोदी ने 18 सितंबर यानि शुक्रवार को कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन किया. यह उद्घाटन 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किया गया. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे. कोसी-मिथिलांचल को जोड़ने वाले इस महासेतु का लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. करीब 84 साल के बाद कोसी और मिथिला के लोगों का सपना साकार हुआ. जिसे बनाने में करीब 17 साल लगे और तब जाकर यह सेतु अब चालू होने के लिए तैयार है.
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख जल्द ही घोषित होने की संभावना है. जिसके पहले बिहार चुनावी रंग में सजने लगा है. वहीं केंद्र के तरफ से भी कई योजनाओं की सौगात लगातार बिहार को मिल रही है. इसी क्रम में पीएम मोदी ने 18 सितंबर यानि शुक्रवार को कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन किया. यह उद्घाटन 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किया गया. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे. कोसी-मिथिलांचल को जोड़ने वाले इस महासेतु का लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. करीब 84 साल के बाद कोसी और मिथिला के लोगों का सपना साकार हुआ. जिसे बनाने में करीब 17 साल लगे और तब जाकर यह सेतु अब चालू होने के लिए तैयार है.
अटल जी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई, लेकिन यूपीए सरकार के दौरान पूरा काम रुक गया- सीएम नीतीश कुमार
इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन यूपीए सरकार के दौरान पूरा काम रुक गया. उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि अब आप आएं हैं तो इस कारण ये काम पूरा हो पाया. वहीं नीतीश कुमार ने इस दौरान अपनी मांग भी रखी और कहा कि इस लाइन को आगे भी बढ़ाया जाना चाहिए, ऐसी मेरी सरकार से उम्मीद है.
क्या है कोसी महासेतु का इतिहास
दरअसल, 1887 में निर्मली और भपटियाही (सरायगढ़) के बीच मीटर गेज लिंक बनाया गया था. यह लिंक 1934 में विनाशकारी आपदा की वजह से तबाह हो गया था. इसके बाद कोसी और मिथिलांचल में दूरी बढ़ गई थी. 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी मेगा ब्रिज लाइन परियोजना की आधारशिला रखी थी. जिसके बाद से इस सेतु के चालू होने का इंतजार हो रहा था.
क्या होगा कोसी महासेतु से फायदा?
पुल नहीं होने के कारण अभी तक कोसी से मिथिलांचल जाने के लिए करीब 300 किमी की दूरी ट्रेन से तय करनी पड़ती थी. कोसी महासेतु और बलुआहा पुल बनने के बाद सड़क मार्ग से कोसी और मिथिला का मिलन हो गया. अभी निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है. पुल के निर्माण से 298 किमी की दूरी मात्र 22 किमी में सिमट जायेगी. कुल मिलाकर यह है कि 18 सितंबर का दिन बिहार के लोगों के लिए एक ‘ऐतिहासिक’ दिन होगा जब 86 साल का सपना पूरा होने जा रहा है.
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1.9 किलोमीटर लंबा है ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु
बता दें कि यह ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु 1.9 किलोमीटर लंबा है और इसके निर्माण में 516 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसके निर्माण कार्य में प्रवासी मजदूरों का भी बड़ा योगदान रहा. वहीं उद्घाटन होने के कुछ दिनों के बाद ही लोग इसका फायदा उठा सकते हैं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya