VIDEO: पटना साहिब गुरुद्वारे में पीएम मोदी ने खुद बेली रोटी, लंगर में परोसा भोजन, देखिए ये अंदाज..

पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार को पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचे और लंगर में खाना परोसा. देखिए पीएम का ये अंदाज..

By ThakurShaktilochan Sandilya | May 13, 2024 11:26 AM

पीएम नरेंद्र मोदी दो दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंचे तो तय कार्यक्रम के तहत सोमवार को पटना साहिब गुरुद्वारा भी पहुंचे. पीएम मोदी यहां सिख पगड़ी पहने नजर आए. पटना सिटी के तख्त श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे में पहुंचकर दरबार साहिब में पीएम मोदी ने माथा टेका और अरदास की. यहां पीएम मोदी ने प्रसाद ग्रहण किया और लंगर वाले एरिया में चले गए. जहां प्रधानमंत्री ने खुद ही रोटी भी बेला. पीएम खुद अपने हाथ में बाल्टी लेकर उस जगह से बाहर निकले और बाहर भोजन पर बैठे लोगों को अपने हाथ से खाना परोसा.

पगड़ी पहनकर गुरुद्वारा पहुंचे पीएम मोदी..

सोमवार को पीएम मोदी कड़ी सुरक्षा के बीच पटना गुरुद्वारा पहुंचे. करीब 20 मिनट तक पीएम गुरुद्वारे में रहे. उनके साथ बीजेपी के प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद और मंत्री अश्विनी चौबे भी मौजूद रहे. बता दें कि ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के कोई प्रधानमंत्री पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचे.

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पीएम ने खुद बेली रोटियां, भोजन परोसे..

पीएम मोदी का गुरुद्वारा में स्वागत किया गया. सिखों के दूसरे बड़े तख्त व श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज की जन्मस्थली तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में पीएम मोदी ने हाजिरी लगायी. वहीं प्रसाद ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री का अलग ही अंदाज देखने को मिला. जब वो भोजन बनने वाले एरिया में चले गये और खुद रोटियां बेलने लगे. वहीं भोजन पकाते भी प्रधानमंत्री दिखे और लंगर में खाने बैठे लोगों को खुद ही उन्होने भोजन भी परोसा.

रविशंकर प्रसाद बोले..

पीएम मोदी के साथ पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचे भाजपा के प्रत्याशी सह पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीएम ने यहां मत्था टेका. दर्शन किए. लंगर जाकर खुद उन्होंने चलाया और भोजन वितरण किया. जहां रोटी बनती है वहां जाकर खुद रोटी बेला और वितरण किया. हमें बहुत गर्व है कि भारत के वो पहले प्रधानमंत्री हैं जो यहां आए. बता दें कि तख्त श्री पटना साहिब को तख्त श्री हरिमंदिर जी, पटना साहिब के नाम से भी जाना जाता है, जो सिखों के पांच तख्तों में से एक है. गुरु गोविंद सिंह के जन्मस्थान के रूप में इस तख्त का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया था.

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