पटना: पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल कैदियों के भागने का सेफ जोन बन गया है. इलाज के दौरान कब कोई कैदी भाग जाये, यह कहना मुश्किल है. पिछले दो साल के अंदर करीब एक दर्जन कैदी परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में चूक का फायदा उठा कर फरार हो चुके हैं. इलाज कराने आये कैदियों के साथ पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, पर उनकी प्राथमिकता उनकी सुरक्षा से ज्यादा कुछ और होती है. पुलिस की मौजूदगी में हथकड़ी सरका कर कैदियों का भाग जाना साफ तौर पर उनकी लापरवाही को बयां करता है.
पीरबहोर थाना, पीएमसीएच के कैदी वार्ड व रिकॉर्ड रूम से मिले आंकड़ों पर गौर करें, तो पिछले दो साल पूरे बिहार से सैकड़ों कैदी इलाज के लिए आये. इनमें एक दर्जन कैदी पुलिस को चकमा देकर फरार हो चुके हैं, जबकि वर्तमान में करीब आठ से अधिक कैदियों का इलाज यहां चल रहा है. इनमें कुछ कैदी इमरजेंसी वार्ड में, तो कुछ हथुआ वार्ड में भर्ती हैं. बाकी कुछ कैदी वार्ड में बंद हैं. बाकी हल्की-फुल्की बीमारी लेकर आये कैदियों को डिस्चार्ज कर पुन: वापस संबंधित जेल में भेज दिया गया है.
15 अप्रैल 2020: आइसोलेशन वार्ड से सन्नी व दीपक फरार हो गये
23 अक्तूबर 2019: रोहित, इमरान उर्फ बादशाह व मो. शाहबुद्दीन उर्फ भोला फरार हो गये
19 दिसंबर 2019 : रवि गुप्ता उर्फ रवि पेशेंट और सजायफ्ता कैदी आशीष राय फरार हो गया
17 अप्रैल, 2017 : मिथलेश कुमार सिंह, वैशाली से आया था
6 मार्च, 2017 : कैदी वार्ड की खिड़की तोड़ सोहन राय व राजेंद्र कुमार फरार
3 फरवरी, 2017 : सहरसा से आया एक कैदी राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक से हुआ फरार
5 नवंबर, 2016- मुजफ्फरपुर से आया कैदी कमरे आलम सुरक्षा कर्मियों को चकमा देकर फरार
पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ विद्यापति चौधरी का कहना है कि रविवार को दो कैदी भागने की सूचना मुझे नहीं मिली है. हालांकि पीएमसीएच में इलाज कराने आ रहे कैदी पुलिस की सुरक्षा में रहते हैं, डॉक्टरों का जिम्मा सिर्फ इलाज करना है. रही बात कैदी वार्ड की, तो वहां का जिम्मा भी पुलिस प्रशासन का ही है. इलाज से लेकर कैदी वार्ड की सभी रिपोर्ट बना कर पुलिसकर्मी ही अपने विभाग को देते हैं. इसके बाद उनके स्तर पर ही वहां कार्रवाई होती है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya