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99 साल का हुआ PMCH, स्थापना दिवस पर 93 मेडिकल छात्र-छात्राओं को मिला गोल्ड मेडल

बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल 25 फरवरी को 99 साल का हो गया. इस स्थापना दिवस के मौके पर रविवार को अस्पताल में कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.

‘प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज’ के नाम पर बने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) का रविवार को 99 वां स्थापना दिवस मनाया गया. पीएमसीएच के ऑडिटोरियम सभागार में हुए स्थापना दिवस समारोह में कार्यक्रमों का उद्घाटन पद्मभूषण डॉ प्रो सीपी ठाकुर ने किया. जबकि मुख्य अतिथि डॉ (कर्नल) एके सिंह और गेस्ट ऑफ ऑनर बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसएन सिन्हा रहे. स्थापना दिवस समारोह के मौके पर 93 मेधावियों को 120 से अधिक मेडल दिये  गये. इसमें स्वर्ण पदक हासिल करने वाले स्टूडेंट्स के चेहरे गोल्ड की चमक और खुशियों से दमक उठा. अपनी मेहनत और लगन की बदौलत गोल्ड मेडल हासिल करना इनके लिए किसी सपने को पूरा होने जैसा था.

स्थापना दिवस समारोह के दौरान कुल 93 मेडिकल छात्र-छात्राओं को अलग-अलग विषयों में गोल्ड मेडल देकर नवाजा गया. डॉ सीपी ठाकुर के हाथों मेडल पाकर मेधावियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इस ऐतिहासिक पल को अभिभावकों ने कैमरे में कैद किया. कार्यक्रम का नेतृत्व PMCH एलुमनाई एसोसिएशन के चीफ पैट्रन डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह, सीएफडी के अध्यक्ष डॉ प्रो नरेंद्र प्रताप सिंह व पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ विद्यापति चौधरी की देखरेख में आयोजित किया गया.

विदेशों से ज्यादा टैलेंट है अपने देश के डॉक्टरों में : सीपी ठाकुर

डॉ सीपी ठाकुर ने कहा कि उनका विदेशों में कई शोध व लेक्चर प्रकाशित हुए हैं. विदेशों से ज्यादा भारत के डॉक्टर अधिक टैलेंटेड हैं, लेकिन यहां रिसर्च की अभी भी कमी है. ऐसे में डॉक्टर अधिक से अधिक रिसर्च पर फोकस करें और नयी बीमारियों की तलाश कम खर्च में करने की कोशिश करें. डॉ ठाकुर ने कहा कि बिहार में ब्रांड और होनहार युवाओं की कोई कमी नहीं है. मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं भारत के उज्जवल भविष्य के प्रतीक हैं. जहां तक डॉक्टरी की बात है, तो मैं भी इस पेशे से जुड़ा हूं. इसलिए मुझे भली-भांति पता है कि डॉक्टर कड़ी मेहनत, लगन और निष्ठा से मिलकर बना हुआ एक शब्द है.

जांच कम लिखें, क्लीनिकल टेस्ट कर मर्म को पहचाने : डॉ सिन्हा

बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसएन सिन्हा ने कहा कि सरकारी अस्पताल में सबसे अधिक गरीब मरीज ही इलाज कराने आते हैं. ऐसे में कई ऐसे डॉक्टर हैं, जो सबसे अधिक पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी जांच लिखते हैं. इनमें अधिकांश ऐसी भी जांच होती है, जिसको मरीज बाहर प्राइवेट में जाकर कराते हैं. इससे उनको आर्थिक परेशानी भी होती है. ऐसे में डॉक्टर जांच कम लिखें और मरीज का मर्म देखकर क्लीनिकल टेस्ट करके ही इलाज करें. इस मामले में पीएमसीएच प्रशासन को अभी ध्यान देने की जरूरत है.

विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने की दिशा में हो रहा काम : आइएस ठाकुर

अस्पताल के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट पीएमसीएच को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनाना है. इसका निर्माण तेजी से चल रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो मुख्यमंत्री 27 फरवरी को ओपीडी भवन का उद्घाटन करेंगे. जिसमें आधुनिक ब्लड बैंक की सुविधा होगी. इसके अलावा 750 वाहनों की ठहराव के लिए मल्टीलेवल पार्किंग का भी उद्घाटन होगा. साथ ही बिजली के लिए ग्रीन ग्रिड का भी शिलान्यास किया जायेगा.

टॉपर्स बोले – मेहनत और लगन की बदौलत मिला गोल्ड मेडल

1. मेघालय के रहने वाले राकेश पाउल के पिता मनेंद्र पाउल पेशे से दर्जी हैं. राकेश ने बताया कि उनकी मां स्व मालती पाउल का पिछले साल ही निधन हो गया था. मां का सपना था कि मैं एक बड़ा डॉक्टर बनूं. माता-पिता व गुरुजनों के आर्शिवाद से पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी में टॉप किया हूं. मुझे इएनटी में पीजी कर नाक, कान व गला का डॉक्टर बनना है.  

2. डॉ आशना कुमारी ओवर ऑल गर्ल्स टॉपर हैं. इन्हें एक साथ 16 गोल्ड मेडल मिले हैं. आशाना ने बताया कि उनकी बुआ डॉ रूपम कुमारी इंग्लैंड में मनोचिकित्सक हैं. बुआ से प्रेरणा लेकर वे भी डॉक्टरी पेशे को चुनी और लगातार टॉप करते आ रही हैं. आशिना के पिता राकेश कुमार स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं और माता संजू कुमारी हाउस वाइफ हैं. आशना कहती हैं उन्हें बच्चे का मशहूर डॉक्टर बनना है.

3. पटना की रहने वाली शगुफ्ता अंजुम ने फार्माकोलॉजी में टॉप किया है. शगुफ्ता के पिता मो असलम इमाम हैं. पिता का सपना था कि उनकी बेटी एक बड़ी डॉक्टर बने. शगुफ्ता ने बताया कि उसे गायनी में पीजी कर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ बनना है. मरीजों का अधिकार है कि उनको बेहतर इलाज मिले, इस अधिकार को पूरा करने के लिए मैं पूरी तरह से तत्पर रहूंगी.

4. औरंगाबाद के रहने वाले ताबिश शमीम ने माइक्रोबायोलॉजी में टॉप किया है. ताबिश को मेडिसिन में पीजी कर एक फिजिशियन डॉक्टर बनना है. ताबिश ने बताया कि उनके घर में वह पहला सदस्य डॉक्टर हैं. माता-पिता का सपना था कि वह सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से पढ़ाई कर एक बढ़िया डॉक्टर बनूं. यहां से पढ़ाई करने और मेडल पाकर बहुत खुशी हो रही है.

5.  डॉ रिशु राज फाइनल समेस्टर में टॉप किये हैं. वे मूल रूप से मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. पिता नंदकिशोर पेशे से बिजनेसमैन हैं और मां विभा देवी हाउस वाइफ हैं. रिशु को मेडिसिन में एमडी करना है. इन्हें छह से अधिक गोल्ड मेडल मिले हैं. वह पीजी के बाद एक प्रसिद्ध फिजिशियन बनना चाहते हैं. वे कहते हैं मेहनत और लगन की बदौलत मुझे मिला गोल्ड मेडल मिला है.  

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