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नवादा से साइबर ठगी का पैसा लेने पटना पहुंचा सरगना, पुलिस ने पकड़ा तो कहा- सारा पैसा ले लो और मुझे छोड़ दो

पूछताछ में आरोपी धर्मेंद्र ने बताया कि वह दसवीं पास है और उसका गिरोह लोन दिलाने, इंश्योरेंस कराने के नाम पर लोगों से ठगी करता है. हर महीने 50 लाख से अधिक का ट्रांजेक्शन के बारे में आरोपित ने स्वीकार किया है. इसमें गिरोह के अन्य सदस्यों का भी कमिशन बना हुआ है.

पटना. पत्रकार नगर थाने की पुलिस ने मंगलवार की देर रात साइबर गिरोह के सरगना को गिरफ्तार कर लिया. सरगना धर्मेंद्र कुमार नवादा के वारसलीगंज के चकवाय गांव का रहने वाला है. पुलिस ने आरोपित को पूर्वी 90 फुट से स्कॉर्पियो के साथ उस वक्त पकड़ा, जब वह नवादा से साइबर ठगी का पैसा लेने के लिए पटना पहुंचा था. पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कार सवार एक शख्स महीने में पांच से छह बार आता है और तीन से चार घंटे तक एटीएम से पैसा निकासी करता है और फिर बैग में भरकर कार से चला जाता है.

पुलिस ने जाल बिछा कर पकड़ा 

पत्रकार नगर थानाध्यक्ष मनोरंजन भारती ने बताया कि सूचना के बाद पुलिस ने जाल बिछाया और कार पर नजर रखने लगी. इसी दौरान 90 फुट के पास सुनसान इलाके में सफेद रंग की स्कॉर्पियो दिखी. पुलिस ने उसे देख कर जब पूछताछ शुरू की, तो वह पेशाब करने के बहाने भागने लगा, जिसे खदेड़ कर पकड़ लिया गया. पकड़ाते ही वह कहने लगा कि मेरे बैग में जितने पैसे हैं, ले लीजिए और मुझे छोड़ दीजिए. इसके बाद उसने कहा कि वह साइबर फ्रॉड की ठगी का पैसा लेने आया था.

रामकृष्णानगर में 25 लोग मिलकर चला रहे थे ठगी का कार्यालय

थानाध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल 18 दिसंबर को धर्मेंद्र कुमार के साइबर ठगी गिरोह के पांच शातिरों को इसी थाने से जेल भेजा गया है. इसके बाद उसने अपने गिरोह में अन्य शातिरों को रखा. रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र में किराये का कमरा लेकर साइबर शातिर लोन देने के नाम पर ठगी का कार्यालय चला रहा था. उस गिरोह में कुल 25 लोग हैं, जिनके अलग-अलग काम हैं. कोई फर्जी सिम खरीदता, तो कोई डेबिट कार्ड खरीदता, किसी के जिम्मे आम पब्लिक का नंबर जुटाना है, तो किसी के जिम्मे कॉल कर ठगी करना है. इसके अलावा किसी शातिर का काम ठगी का पैसा निकाल कर सरगना तक पहुंचाना है.

पूछताछ में धर्मेंद्र ने बताया कि वह दसवीं पास है और उसका गिरोह लोन दिलाने, इंश्योरेंस कराने के नाम पर लोगों से ठगी करता है. हर महीने 50 लाख से अधिक का ट्रांजेक्शन के बारे में आरोपित ने स्वीकार किया है. इसमें गिरोह के अन्य सदस्यों का भी कमिशन बना हुआ है.

बेंगलुरु से एटीएम कार्ड और कोलकाता से मंगवाता फर्जी सिम

पूछताछ में पुलिस को बेंगलुरु से एटीएम व डेबिट कार्ड बनवाने के बारे में पता चला. सरगना ने बताया कि बेंगलुरु में कई ऐसे एजेंट हैं, जो दूसरे के नाम पर एटीएम कार्ड बनवाकर साइबर ठगों को देते हैं. इसमें पुलिस को कई बैंक स्टाफ के नाम भी बताये गये, जो बेंगलुरु में हैं. इसके अलावा फर्जी सिम वे कोलकाता से मंगवाते हैं. इन दोनों के लिए ऊंची कीमत भी साइबर ठग देते हैं. मिली जानकारी के अनुसार कूरियर के माध्यम से सिम और एटीएम कार्ड नवादा और नालंदा में बड़ी संख्या में मंगवाये जाते हैं और उसी से ठगी का पूरा खेल चलता है.

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फ्रॉड के पैसे से बनवाया तीन तल्ला मकान और खरीदी स्कॉर्पियो

धर्मेंद्र पिछले पांच साल से साइबर गिरोह चला रहा है. इससे पहले 2018 में धर्मेंद्र को वारसलीगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जेल से निकलने के बाद उसने फिर से धंधा शुरू कर दिया. उसने बताया कि पूरा गिरोह चकवाय गांव के एक बगीचे में बैठकर ठगी करता है. वहां पर हर 100 मीटर की दूरी पर एक फ्रॉड लैपटॉप व मोबाइल लेकर बैठा रहता है. पुलिस के अनुसार धर्मेंद्र ने ठगी के पैसे से तीन तल्ला मकान बनवाया है और 21 लाख की स्कॉर्पियो कार भी खरीदी है.

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