संवाददाता, पटना : पीएमसीएच में इलाज कराने आये सोना लुटेरा प्रिंस उर्फ अभिजीत के फरार होने के मामले में पटना पुलिस ने ब्रेजा कार को दानापुर के गोला रोड से बरामद कर ली है. इस कार से ही प्रिंस अपने साथी सोनू पटेल व अन्य के साथ भागा था. यह कार रूपसपुर इलाके के ही रहने वाले कृष्णकांत सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड है. पुलिस ने उनसे पूछताछ की, तो यह पता चला कि उसने आरा के राहुल राय को उसके पिता का इलाज कराने के नाम पर 29 अगस्त को दिया था. पुलिस को राहुल राय का मोबाइल नंबर भी हाथ लग गया. लेकिन, वह पुलिस के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और मोबाइल फोन स्विच ऑफ है. राहुल भी गोला रोड में एक घर में किराये का फ्लैट लेकर रहता है. सूत्रों का कहना है कि पुलिस टीम ने प्रिंस के भागने के बाद जांच शुरू की, तो कार का नंबर मिल गया. इसके बाद उसके मालिक कृष्णकांत सिंह से पूछताछ की, तो राहुल राय को उन्होंने कार देने की बात स्वीकारी और बताया कि वह फिलहाल दिल्ली में हैं. हालांकि, कार अभी कहां है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. इसके बाद पुलिस टीम ने जांच करते हुए लावारिस हालत में कार को गोला रोड में बरामद कर लिया. इस मामले के सफल उद्भेदन के लिए एसआइटी बनायी गयी है. एक तरफ एसआइटी, तो दूसरी तरफ से एसटीएफ प्रिंस को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है. पुलिस टीम पटना के साथ ही वैशाली, आरा व बक्सर में छापेमारी कर रही है. हालांकि, प्रिंस हाथ नहीं लगा है. लेकिन इस मामले में पुलिस को सोनू पटेल व राहुल राय की तलाश है. पटना पुलिस की एक टीम राहुल राय की खोज में आरा भी गयी थी.
सोना लुटेरा सुबोध सिंह से भी पूछताछ कर सकती है पटना पुलिस
प्रिंस सोना लुटेरा सुबोध सिंह का राइट हैंड रहा है, जिसके कारण यह शक जताया जा रहा है कि उसके फरार होने की सारी सेटिंग सुबोध सिंह ने ही की है. वह फिलहाल पश्चिम बंगाल के बैरकपुर जेल में बंद है. पटना पुलिस की एक टीम उससे बैरकपुर जेल में जाकर पूछताछ कर सकती है.
छाती में दर्द की शिकायत पर लाया गया था पीएमसीएच
पीएमसीएच में दो सितंबर को इलाज के लिए प्रिंस को छाती में दर्द की शिकायत के बाद लाया गया था. उसने पांच दिनों से छाती में दर्द और एसीडिटी की शिकायत की थी. लेकिन, यह तीन सितंबर के अहले सुबह तीन बजे सैदपुर नहर रोड स्थित सोनू पटेल के फ्लैट से फरार हो गया था.रिव्यू के लिए अस्पताल नहीं भेजा जायेगा कैदियों को
कैदियों को अगर किसी प्रकार की बीमारी होती है, तो उन्हें एक बार ही डॉक्टर के पास भेजा जायेगा. उसके बाद स्थिति के अनुसार रिव्यू के लिए अस्पताल भेजा जायेगा. अगर परेशानी बड़ी नहीं होगी, तो रिव्यू के नाम पर अस्पताल नहीं भेजा जायेगा, बल्कि उसके डॉक्टर के पर्चे लेकर सुरक्षाकर्मी अस्पताल जायेंगे और दवा या सुझाव लिखवा कर वापस आ जायेंगे. आम तौर पर इससे पहले जेल से किसी भी कैदी को बीमारी के रिव्यू इलाज के लिए भी सशरीर भेजा जाता था. बेऊर जेल अधीक्षक विधु कुमार ने बताया कि रिव्यू के लिए हमेशा कैदियों को अस्पताल नहीं भेजा जायेगा. बीमारी की स्थिति के अनुसार उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाने की इजाजत दी जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है