पटना. बिहार (Bihar) में अब तलाशी और जब्ती अभियानों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होगी. एक जुलाई से तीन नये कानून लागू हो रहे हैं. इसको लेकर बिहार पुलिस ने सारी तैयारियां कर ली हैं. भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आइइए) 30 जून 2024 को खत्म हो जायेंगे. एक जुलाई 2024 से केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) इनकी जगह लेंगे. बिहार पुलिस ने इन कानूनों को राज्य में लागू किये जाने को लेकर मिशन मोड में तैयारी शुरू कर दी है. थानों के पुलिसकर्मियों से लेकर जिला व राज्य मुख्यालय में बैठे पदाधिकारियों को डिजिटल बनाया जा रहा है, ताकि नये कानूनों के हिसाब से जांच व न्यायालय को साक्ष्य पेश किया जा सके.
नये कानूनों के हिसाब से डिजिटल बनेगी बिहार पुलिस
बिहार पुलिस अकादमी राजगीर और बीपीआरएंडडी दिल्ली के सहयोग से बिहार के पुलिस पदाधिकारियों को नये कानूनों की ट्रेनिंग दी जा रही है. प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारी मास्टर ट्रेनर बन दूसरे पदाधिकारी-कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे. डीजीपी आरएस भट्टी ने कहा कि नये कानूनों के मुताबिक थानों में पुलिस को डिजिटल बनाया जायेगा. नये आपराधिक कानून में तलाशी और जब्ती अभियानों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रावधान है. इसको देखते हुए सभी थानों के जांच पदाधिकारी (आइओ) स्मार्टफोन व लैपटॉप से लैस होंगे. इसके साथ ही हर थाने में ऑडियो-वीडियो कम्यूनिकेशन सिस्टम के साथ ही गवाही रिकॉर्डिंग के लिए अत्याधुनिक कक्ष होगा. हर थाने में डाटा सेंटर, पूछताछ कक्ष, महिला हेल्प डेस्क, विजिटर कक्ष, रिकॉर्ड रूम मेंटेन होंगे.
नये कानूनों की प्रमुख बातें
- आइपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि नये बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. नये कानून में 21 नये अपराधों को भी सम्मिलित किया गया है.
- सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जबकि बीएनएसएस में 531 धाराएं होंगी. नये कानून में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदला गया है और 09 नयी धाराएं जोड़ी गयी हैं. 14 धाराएं समाप्त भी की गयी हैं. गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में होती है.
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं होंगी. अभी तक इसमें 166 धाराएं हैं. मुकदमे के सबूतों को कैसे साबित किया जायेगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, यह सब अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराओं के तहत ही होगा.
एप की मदद से बदले कानून को जान पायेंगे आइओ
डीजीपी ने बताया कि एक जुलाई 2024 से एफआइआर की ड्राफ्टिंग नये कानून के आधार पर सुनिश्चित की जानी है. बदले कानून की धाराओं की जानकारी के लिए एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) ने एप विकसित किया है. आइओ आसानी से उस एप को डाउनलोड कर अपराध के मामले में बदली हुई धाराओं को समझ सकेंगे. सभी एफआइआर अब सीसीटीएनएस सिस्टम पर मौजूद हैं. सीसीटीएनएस और एससीआरबी ऐसी व्यवस्था विकसित करेंगे कि लगायी गयी पुरानी धाराओं को नयी धाराओं से खुद ब खुद रिप्लेस किया जा सके. इसकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी गयी है. हर थाने के तीन से चार पुलिसकर्मियों को ऑनलाइन एफआइआर भरे जाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.
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पहली बार सजा में सामुदायिक सेवा देने का प्रावधान
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक देश में पहली बार छह तरह के अपराध के मामलों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा देने का प्रावधान किया गया है. इनमें अपराधियों से पौधे लगवाना, जल स्त्रोतों की साफ-सफाई कराना, ट्रैफिक संचालन में मदद करवाना, धार्मिक स्थलों व अनाथालय में सेवा दिलवाना आदि शामिल है. मालूम हो कि केंद्र सरकार ने फिलहाल भारतीय न्याय संहिता की धारा-106 (2) को होल्ड कर दिया है. यह प्रावधान हिट एंड रन से जुड़े अपराध से जुड़ा हुआ है.