संवाददाता, पटना डिजिटल पुलिसिंग के तहत बिहार पुलिस का सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) जल्द ही राज्य की ऑनलाइन न्यायिक व्यवस्था आइसीजेएस (इंटर ओपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) से जुड़ जायेगा. इसके द्वारा न्यायालय से पुलिस पदाधिकारी को इलेक्ट्राॅनिकली समन व वारंट आदि भेजे जा सकेंगे और पुलिस पदाधिकारी इसका तामिला प्रतिवेदन भी ऑनलाइन देंगे. इससे न्यायिक प्रक्रिया को गति मिलेगी, जेल से छूटने वाले अपराधियों की बेहतर निगरानी भी हो सकेगी. सोमवार को डीजीपी आरएस भट्टी ने एक जुलाई, 2024 से लागू हो रहे तीन नये कानूनों को लेकर ज्ञान भवन में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुलिस पदाधिकारियों को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अगले एक माह तक राज्य के 25 हजार से अधिक पुलिस पदाधिकारियों को नये आपराधिक कानून के साथ ही विधि विज्ञान एवं डिजिटल पुलिसिंग की जानकारी दी जायेगी. यह प्रशिक्षण ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड में चलेगा. प्रत्येक पुलिस पदाधिकारी को स्मार्टफोन व लैपटॉप की सुविधा दी जा रही है. इससे वह आपराधिक घटना स्थल की विडियोग्राफी, फोटोग्राफी एवं पीड़ित व गवाहों के बयान ऑडियो-वीडियो के माध्यम से दर्ज कर न्यायालय में त्वरित पेश कर सकेंगे. डीजीपी ने बताया है कि अब गिरफ्तार प्रत्येक व्यक्ति का फिंगरप्रिंट नफीस (नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) डाटाबेस में दर्ज किया जायेगा. इससे आपराधिक घटनास्थल पर मिलने वाले फिंगरप्रिंट का त्वरित मिलान पूरे देश में गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट डाटाबेस से किया जा सकेगा, जिससे अपराध के उद्भेदन एवं अभियुक्तों को सजा दिलाने में वृद्धि होगी. इसके लिए राज्य के हर जिले में व्यवस्था तैयार की जा रही है. प्रत्येक जिले में मोबाइल फॉरेंसिक साइंस यूनिट विशेषज्ञों एवं उपकरणों के साथ तैनात रहेगी, जो गंभीर घटना में घटनास्थल पर त्वरित पहुंच कर फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, फिंगरप्रिंट एवं अन्य वैज्ञानिक साक्ष्य का संकलन करेंगे. इससे सिर्फ बयान के आधार पर गलत दोषारोपण पर भी रोक लगेगी. प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीजी ट्रेनिंग प्रीता वर्मा सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी मौजूद रहे.
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