Cng Conversion, Kit, Cost, Pollution, Patna, Bihar: लॉकडाउन के प्रतिबंधों के समाप्त होते ही पटना शहर की सड़कों पर वाहनों की संख्या फिर से बढ़कर पांच-छह लाख के अधिकतम स्तर पर पहुंच गयी है. इसी के साथ पेट्रोल और डीजल के जलने से निकले गैस से उत्पन्न होने वाला पर्यावरण प्रदूषण भी अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन इन पर नियंत्रण के प्रयास लगभग आठ महीने से पूरी तरह बंद हैं.
पिछले वर्ष बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए पूरे बिहार को पेट्रोल और डीजल चालित यात्री वाहनों से मुक्त करने का निर्णय लिया गया था.
इसके अंतर्गत ऑटो रिक्शा, टैक्सी और बस तीनों में डीजल और पेट्रोल इंजन की जगह सीएनजी इंजन लगाना था. पटना शहर में इसके लिए 31 जनवरी 2021 जबकि पूरे प्रदेश के लिए 31 मार्च 2021 तक का समय तय किया गया था, जिसमें अब क्रमश: तीन व पांच महीने से भी कम समय बचा है. लेकिन पूरा होना तो दूर अब तक सीएनजी कन्वर्जन का काम ठीक से शुरू भी नहीं हुआ है. इस दिशा में जो छोटे छोटे प्रयास किये जा रहे थे, वो भी बीते मार्च में कोरोना संकट शुरू होने के बाद से पूरी तरह बंद है.
जरूरत के अनुरूप तेज गति से सीएनजी कन्वर्जन नहीं होने की सबसे बड़ी वजह अनुदान राशि का जरूरत से बहुत कम मिलना रहा है. ऑटो या टैक्सी के पेट्रोल इंजन को सीएनजी कीट में बदलने के लिए 30 हजार रुपये की जरूरत पड़ती है जबकि डीजल इंजन को सीएनजी कीट में बदलने के लिए 72 हजार की, लेकिन दोनों ही मदों में वाहन मालिकों को अनुदान में केवल 20 हजार की राशि ही मिलती है. लिहाजा बिना अपने जेब से शेष 10 या 52 हजार रुपये लगाये कन्वर्जन करवाना संभव नहीं है. ज्यादातर वाहन मालिकों के पास इतनी बड़ी राशि नहीं है़ लिहाजा उन्होंने सरकारी अपील के लगभग डेढ़ साल बीतने के बावजूद भी अब तक कन्वर्जन नहीं करवाया है.
Also Read: Bihar Chunav : चुनाव में पर्दे के पीछे के नेताओं ने निभायी शानदार भूमिका, जानें कौन थे वो रणनीतिकार
लगभग दो हजार ऑटो चालकों ने अपने पेट्रोल इंजन को सीएनजी में कन्वर्ट करवाया है. इनमें से 565 ऑटो चालकों ने जिनके सारे कागजात ठीक हैं, अब तक जिला परिवहन कार्यालय में सीएनजी कन्वर्जन का अनुदान पाने के लिए आवेदन दिया है. इनमें से ज्यादातर आवेदन को दिये छह महीने से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी ऑटो चालका को 20 हजार रुपये का अनुदान नहीं मिला.
अब तक पेट्रोल डीजल इंजन को सीएनजी में कन्वर्ट करवाने के बाद 185 ओला चालकों ने डीटीओ में अनुदान के लिए आवेदन दिया है. लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी इनमें से महज 66 को अब तक अनुदान मिला है. ऐसे में अन्य वाहन मालिकों का उत्साह भी समाप्त हो गया है और वे अब अनुदान के भरोसे कर्ज लेकर अपने वाहनों में सीएनजी कीट लगवाने से बच रहे हैं और वाहनों के द्वारा जहरीली गैसों का उत्सर्जन पहले की तरह ही जारी है.
बीएसआरटीसी ने अपने 20 पुराने डीजल चालित आयशर कंपनी की बसों में सीएनजी इंजन लगवाया और चार सितंबर को उनका नगर सेवा के विभिन्न मार्गों पर सफल ट्रायल रन भी किया. इसके बावजूद उसकी नगर सेवा की लगभग 100 बसें अभी भी डीजल इंजन पर ही दौड़ रही हैं और सीएनजी कन्वर्जन का काम आगे नहीं बढ़ा है.
-
पटना शहर में पंजीकृत कुल ऑटो रिक्शा 27 हजार
-
डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा 12 हजार
-
पेट्रोल से चलने वाले ऑटो रिक्शा 8 हजार
-
सीएनजी में कन्वर्टेड ऑटो 2 हजार
-
नये सीएनजी ऑटो 5 हजार