बिहार में जनसंख्या नियंत्रण, जहां लड़कियां पढ़ी-लिखीं, उन इलाकों में प्रजनन दर कम
बिहार में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किये जा रहे प्रयासों के बाद भी राज्य में जन्म दर देश के सभी राज्यों में अधिक है. बिहार में जन्म दर प्रति हजार की जनसंख्या पर 26.2 है. यानी कि एक हजार लोगों पर 26.2 बच्चे जन्म ले रहे हैं.
पटना : बिहार में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किये जा रहे प्रयासों के बाद भी राज्य में जन्म दर देश के सभी राज्यों में अधिक है. बिहार में जन्म दर प्रति हजार की जनसंख्या पर 26.2 है. यानी कि एक हजार लोगों पर 26.2 बच्चे जन्म ले रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर जन्म दर 20.0 है. हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा 2018 में कराये गये सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) की रिपोर्ट जारी की गयी है. राज्य में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं. राज्य सरकार का मानना है कि लड़कियों में स्कूली शिक्षा के माध्यम से प्रजनन दर में कमी लायी जा सकती है. इसी को लेकर सभी पंचायतों में प्लस टू स्कूलों की स्थापना की जा रही है. .
जनसंख्या को लेकर एसआरएस की 2018 की रिपोर्ट में बताया गया है. शिक्षित महिलाएं अपने प्रजनन काल में औसतन कम संतान पैदा करती हैं. अशिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर तीन है, जबकि प्राथमिक से कम शिक्षा पानेवाली महिलाओं में प्रजनन दर 2.9 है. प्राथमिक शिक्षा प्राप्त महिलाओं में प्रजनन दर 2.5 है , तो मध्य विद्यालय तक शिक्षा पानेवाली महिलाओं प्रजनन दर 2.2 है. मैट्रिक पास लड़कियों में प्रजनन दर 1.9 है, तो 12 वीं पास लड़कियों में प्रजनन दर 1.8 है. इसी रिपोर्ट में बताया गया है स्नातक और उससे ऊपर की महिलाओं में प्रजनन दर 1.7 है. बिहार ने नवजात मृत्यु दर पर नियंत्रण कर लिया है
राज्य में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर किये जा रहे प्रयास
जनसंख्या आयोग द्वारा जारी आकलन में बताया गया है राज्य की वर्तमान जनसंख्या (जनगणना 2011) में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 918 है. वर्ष 2035 तक प्रति हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़कर 935 हो जायेगी. इसके बावजूद उस समय भी राज्य का लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत 957 से कम ही होगा. जमीन पर है अधिक दबाव: जनगणना 2011 के अनुसार राज्य में प्रति वर्ग किलोमीटर में 1106 लोग निवास करते हैं. वहीं, वर्ष 2036 तक प्रति वर्ग किलोमीटर में रहनेवाले लोगों की संख्या बढ़कर 1578 हो जायेगी.
इस वर्ष जनसंख्या स्थिरता पखवारे का आयोजन दो चरणों में किया जा रहा है. दंपती संपर्क पखवारा 10 जुलाई तक चलाया गया. अब शनिवार से (11 जुलाई से 31 जुलाई) तक जनसंख्या स्थिरता पखवारे का आयोजन होगा. सभी आयोजनों का संपादन कोविड-19 महामारी में दिये गये दिशा निर्देशों के अनुरूप होगा. इसको लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी तथा आशा का ऑनलाइन उन्मुखीकरण किया गया है. जनसंख्या स्थिरीकरण की जरूरत सही उम्र में शादी, पहले बच्चे की देरी तथा बच्चों में सही अंतराल के बारे में आमजन के मध्य चर्चा कर मां और शिशु स्वास्थ्य को बेहतर कर सकें. प
खवारे को सफल बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म को उपयोग करते हुए क्षेत्रीय सांसद, विधायक, पंचायती राज संस्था के सदस्य, शहरी स्थानीय निकाय, स्वास्थ्यकर्मियों व सिविल सोसाइटी के सदस्य का सहयोग लेने का परामर्श दिया गया है. शनिवार से शुरू होनेवाले जनसंख्या स्थिरता पखवारे का 31 जुलाई तक किया जायेगा. इस दौरान गर्भ निरोधक के बास्केट ऑफ चॉइस पर इच्छुक दंपतीयों को परामर्श दिया जायेगा. इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श पंजीयन केंद्र स्थापित करते हुए परिवार कल्याण परामर्शी, दक्ष स्टाफ नर्स व एएनएम द्वारा परामर्श दिया जायेगा. ओपीडी, एएनसी सेवा केंद्र, प्रसव कक्ष एवं टीकाकरण केंद्र पर भी प्रचार प्रसार सामग्रियों के माध्यम से लोगों को आबादी रोकने की जानकारी दी जायेगी.