फंगस इन्फेक्शन इन दिनों चर्चा में है. पहले ब्लैक फंगस के कारण लोग बीमार पड़ रहे थे अब व्हाइट फंगस से संक्रमित मरीज भी मिलने लगे हैं. लेकिन यही दोनों केवल ऐसे ऑपर्चुनिस्टिक इन्फेक्शन नहीं हैं, जो कोरोना से ठीक हुए लोगों को लग सकते हैं बल्कि और भी कई ऐसे बैक्टीरियल इन्फेक्शन हैं, जो कमजोर हो चुकी इम्युनिटी की वजह से कोरोना से ठीक हुए मरीजों को होने की अधिक आशंका रहती है. लिहाजा जो लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं, उन्हें निगेटिव होने के बाद एक दो महीने तक पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है.
-टायफायड : शरीर की रोग निरोधी क्षमता घटने से हो सकता है आंतों में इन्फेक्शन और इसकी वजह से टायफायड बुखार.
-निमोनिया : फेफड़े संक्रमित होने से निमोनिया हो सकता है, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है.
-सर्वाइकल इन्फेक्शन : महिलाओं में कम इम्युनिटी से इसके होने की आशंका बढ़ जाती है
-टॉक्सो प्लाजमोसिस : इसके कारण बुखार हो सकता है और शरीर में चकत्ते आ सकते हैं
– हरपीज : इससे त्वचा पर घाव हो सकता है और तेज जलन हो सकती है.
डायबिटीज के मरीजों को कम इम्युनिटी से इन्फेक्शन होने का अधिक खतरा होता है. उसमें भी जिन्होंने स्टेरायड का लंबे समय तक अनियंत्रित सेवन किया है उनमें यह खतरा और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसमें ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है. यह तात्कालिक रूप से तो संक्रमण को कम करता है लेकिन लांग टर्म में रोग निरोधी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.इम्युनिटी इतनी घट जाती है कि सामान्य बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से भी नहीं लड़ पाता.
डॉ अंशु अंकित, कोरोना विशेषज्ञ
कोरोना होने से पहले तक शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक होने के कारण कई बैक्टीरिया, वायरस और फंगस को शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र पूरी तरह दबाये रहता है. कोराना से पीड़ित होते के साथ इम्युनिटी के कमजोर होने से यही हम पर हावी हो जाते हैं. कोरोना ठीक होने के बाद 15 से 30 दिन और किसी में तो दो महीने तक इस तरह की परेशानी मिलती है.
डॉ केवीएन सिंह, विशेषज्ञ चिकित्सक, फैमिली मेडिसिन
POSTED BY: Thakur Shaktilochan