प्रकाश पर्व पर प्रभातफेरी में शामिल हो रहे अन्य प्रांतों के संगत, आज जाएगी गायघाट बड़ी संगत गुरुद्वारा
मंगलवार को तख्त साहिब से निकलने वाली प्रभातफेरी गायघाट बड़ी संगत गुरुद्वारा जायेगी, जहां मत्था टेकने के बाद बोरिंग रोड,पटना जंक्शन संगत के घर होते हुए वापस लौटेगी.
पटना सिटी. श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के 356 वां प्रकाश पर्व को लेकर पंज प्यारे की अगुवाई में लगातार तीसरे दिन सोमवार को भी तख्त साहिब से तड़के प्रभातफेरी निकाली गयी. तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब से तड़के शबद कीर्तन करते हुए निकले सिख संगत का जत्था अशोक राजपथ के मुख्य मार्ग झाऊगंज, हाजीगंज, मारूफगंज, मालसलामी होते हुए गुरु के बाग गुरुद्वारा पहुंचा. वहां मत्था टेक दर्शन करने के बाद वापस तख्त साहिब लौटा. पंजाब, दिल्ली हरियाणा व दूसरे प्रांतों से पहुंचे सिख संगत भी प्रभात फेरी में शामिल हो रहे है.
आज गायघाट बड़ी संगत से निकलेगा कीर्तन
मंगलवार को तख्त साहिब से निकलने वाली प्रभातफेरी गायघाट बड़ी संगत गुरुद्वारा जायेगी, जहां मत्था टेकने के बाद बोरिंग रोड,पटना जंक्शन संगत के घर होते हुए वापस लौटेगी. प्रकाश पर्व को लेकर 11 दिनों तक चलने वाले प्रभातफेरी का समापन 27 दिसंबर को बड़ी प्रभातफेरी से होगा. अगले दिन 28 दिसंबर को गायघाट स्थित बड़ी संगत गुरुद्वारा से नगर कीर्तन निकाला जायेगा, जो अशोक राजपथ के मुख्य मार्ग होते हुए तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब आयेगा.
29 दिसंबर को प्रकाशोत्सव का मुख्य समारोह
इसके अगले दिन 29 दिसंबर को प्रकाशोत्सव का मुख्य समारोह मनाया जायेगा. जबकि 30 दिसंबर को बाललीला गुरुद्वारा में जन्मोत्सव मनाया जायेगा, प्रभातफेरी में संयोजक सरदार तेजिंदर सिंह बग्गा, सरदार प्रेम सिंह, रणजीत सिंह व इंद्रजीत सिंह बग्गा के साथ काफी संख्या में पंजाब व हरियाणा के साथ दूसरे प्रांत से आये सिख श्रद्धालु शामिल थे.
बाललीला में पांच हजार संगत के ठहरने की व्यवस्था होगी
श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के प्रकाश पर्व को लेकर बाललीला मैनी संगत गुरुद्वारा में पांच हजार संगत के ठहरने की व्यवस्था की गयी है. गुरुद्वारा के प्रमुख संत बाबा कश्मीर सिंह भूरीवाले के निर्देश पर बाबा बाबा सुखिवंदर सिंह सुख्खा और बाबा गुरविंदर सिंह तैयारियों को मूर्त रूप देने लगे हैं. इन लोगों ने बताया कि बाललीला गुरुद्वारा और उसके आसपास में पांच हजार संगत के रहने की व्यवस्था की गयी है. लंगर हॉल का निर्माण पंडाल लगा कर गुरुद्वारा में कराया गया है, जिसमें एक साथ दो हजार से अधिक संगत बैठ कर लंगर छक सकते है.