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कैंपस : किलकारी में मनायी गयी प्रेमचंद की जयंती

साहित्य में संवेदना होती है. भूमंडलीकरण के दौर में आज इसमें सूखापन आते जा रहा है. इस स्थिति में प्रेमचंद का साहित्य बहुत प्रासंगिक हो जाता है.

संवाददाता,पटना साहित्य में संवेदना होती है. भूमंडलीकरण के दौर में आज इसमें सूखापन आते जा रहा है. इस स्थिति में प्रेमचंद का साहित्य बहुत प्रासंगिक हो जाता है. बच्चों को प्रेमचंद-साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए. ये बातें कथाकार-उपन्यासकार व पूर्व सहायक निदेशक आकाशवाणी-दूरदर्शन के डॉ ओमप्रकाश जमुआर ने कहीं. मौका था किलकारी बिहार बाल भवन में आयोजित प्रेमचंद की 144वीं जयंती का. लेखा पदाधिकारी विनय मिश्रा और प्रशासी पदाधिकारी वेद प्रकाश ने संयुक्त स्वागत संबोधन किया. वहीं सम्राट समीर ने प्रेमचंद का परिचय, फिर लघुकथा/लघु कहानी-पाठ के अंतर्गत अनुराग कुमार ने माता-पिता, श्रेया कुमारी ने वीडियो कॉल, पीहु कुमारी, ””ग्रहों की बैठक””, गणपत हिमांशु ””हैप्पी बर्थडे””, रंजना कुमारी ””अब नहीं होना है बड़ा””, सुमन कुमार ””मैं सामा हूं””, आदित्य सिंह ””स्कूल का पहला दिन”” तो वहीं कशिश कुमारी ने प्रेमचंद की कहानी ””देवी”” तो आकृति राज ने ””बाबाजी का भोग”” का पाठ किया. अतुल रॉय ने प्रेमचंद पर स्वरचित कविता पढ़ी. वहीं श्यामा झा और चिंटू कुमार ने भी कविताएं पढ़ीं.

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