बेहतर काम नहीं करने वाले इंजीनियरों को हटाने की तैयारी

भवन निर्माण विभाग में बेहतर काम नहीं करनेवाले सीनियर इंजीनियरों पर कार्रवाई होगी. चिह्नित किये जा रहे इंजीनियरों को कंपलसरी रिटायरमेंट दिया जायेगा. इसमें कार्यपालक अभियंता से लेकर जूनियर इंजीनियर तक शामिल हैं. इनके संबंध में विभागीय अधिकारियों से मुख्य रूप से आठ बिंदुओं पर सोमवार तक रिपोर्ट मांगी गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 31, 2020 1:02 AM

पटना : भवन निर्माण विभाग में बेहतर काम नहीं करनेवाले सीनियर इंजीनियरों पर कार्रवाई होगी. चिह्नित किये जा रहे इंजीनियरों को कंपलसरी रिटायरमेंट दिया जायेगा. इसमें कार्यपालक अभियंता से लेकर जूनियर इंजीनियर तक शामिल हैं. इनके संबंध में विभागीय अधिकारियों से मुख्य रूप से आठ बिंदुओं पर सोमवार तक रिपोर्ट मांगी गयी है.

सभी रिपोर्टों के आधार पर प्रधान सचिव के स्तर पर तीन जून को समीक्षा होगी. इसमें चिह्नित इंजीनियरों को कंपलसरी रिटायरमेंट देने की कार्रवाई पर मुहर लगेगी. आठ मानकों पर किया गया चिह्नितजिन इंजीनियरों पर वीआरएस की तलवार लटकायी गयी है, उनके उनके पिछले पांच साल के दौरान कितनी छुट्टी ली, स्वास्थ्य की स्थिति कैसी है, उनकी सेवा की सरकार को कितनी आवश्यकता है, वे कार्यरत पद पर काम करने के लिए कितने सक्षम हैं, भ्रष्टाचार या संपत्ति के स्थानांतरण से संबंधित कोई शिकायत कभी आयी, पर ब्योरा इकट्ठा किया गया है.

इसके साथ ही उनके पूरे सेवाकाल के दौरान कभी किसी तरह का जुर्माना लगने, कैरियर में कभी किसी तरह की प्रतिकूल टिप्पणी और संबंधित इंजीनियर का पूरे कार्यकाल के दौरान कुल मिलाकर आचरण कैसा रहा, इस पर भी विवेचना की गयी है.कामकाज की व्यवस्था होगी बेहतरभवन निर्माण विभाग के विशेष सचिव मनीष कुमार ने बताया कि विभिन्न मानकों के आधार पर खराब वर्क परफॉर्मेंस वाले उम्रदराज इंजीनियरों को ढूंढ़ा जा रहा है.

उन्हें कंपलसरी रिटायरमेंट दिया जायेगा. यह प्रक्रिया नियमावली के अनुरूप है. इस पर विभाग के प्रधान सचिव की भी सहमति प्राप्त है. इस तरह की कार्रवाई का मकसद विभाग में कामकाज की व्यवस्था बेहतर करना है. इंजीनियरों के यूनियन ने किया विरोधअवर अभियंता संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार ने इस तरह की कार्रवाई का विरोध किया और इसे भेदभावपूर्ण बताया.

उन्होंने कहा कि वर्क परफॉर्मेंस के आकलन का सरकार में कोई सिस्टम ही नहीं है. ऐसे में विभाग के द्वारा बताये गये सभी मानकों के आधार पर इंजीनियरों के काम का आकलन नहीं किया जा सकता. इसी साल जनवरी महीने में पीएचइडी के द्वारा भी ऐसा प्रस्ताव आया था, जिसका संघ द्वारा विरोध करने पर वापस ले लिया गया.

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