सरकारी अस्पतालों पर दबाव, निजी क्षेत्र में खाली पड़े हैं बेड

राज्य में मरीजों को निजी क्षेत्र में सेवा देने वाले नर्सिंग होम और क्लिनिकों के बेड खाली पड़े हैं. इधर कोरोना महामारी का सबसे अधिक दबाव सरकारी अस्पतालों और चिकित्सकों पर है. राज्य के निजी क्षेत्र के अस्पतालों के पास 48 हजार बेड हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में महज 22 हजार बेड हैं.

By Pritish Sahay | May 5, 2020 2:06 AM

पटना : राज्य में मरीजों को निजी क्षेत्र में सेवा देने वाले नर्सिंग होम और क्लिनिकों के बेड खाली पड़े हैं. इधर कोरोना महामारी का सबसे अधिक दबाव सरकारी अस्पतालों और चिकित्सकों पर है. राज्य के निजी क्षेत्र के अस्पतालों के पास 48 हजार बेड हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में महज 22 हजार बेड हैं. बंदी की स्थिति के कारण निजी क्षेत्र के अस्पतालों के बेड खाली है. इधर, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने पिछले दिनों निजी क्षेत्र के नर्सिंग होम को लेकर चिंता भी जतायी है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा है कि निजी क्षेत्र मुनाफा को तो स्वीकार करते हैं जबकि रिस्क बांटने का समय आया तो वह इसमें पीछे चले गये हैं.

राज्य के 90 फीसदी ओपीडी बंद हैं. यहां तक कि मरीजों को नियमित सेवाएं भी नहीं मिल रही है. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 20 अप्रैल निजी क्षेत्र के निर्सिंग होम की सेवा बहाल करने का आदेश दिया है. कोरोना महामारी में निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं पर 18 मार्च के बाद असर दिखने लगा. उस दिन प्रधान सचिव ने निजी क्षेत्र के संस्थानों के साथ बैठक कर इस दिशा में काम करने को लेकर बातचीत की. निजी संस्थानों को अपने यहां सेवाएं जारी रखने पर भी बात हुई.

सरकार ने 18 मार्च को शॉपिंग मॉल, जिम, स्पा सहित 50 लोगों की भीड को एकत्र होने पर रोक लगा दी. सरकार ने 22 मार्च को निजी क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सा सेवा सहित अन्य 12 प्रकार की सेवाओं को छोड़कर सभी प्रकार के कार्यों पर रोक लगा दी. इसी दिन के बाद वाहनों के परिचालन पर रोक लगने के बाद निजी क्षेत्र के क्लिनिक और नर्सिंग होम में तालाबंदी की स्थिति पैदा हो गयी. अभी तक निजी संस्थानों में विश्वास नहीं लौट पाया है. तीसरे दौर के लॉकडाउन जारी होने के बाद निजी क्षेत्र के कुछ चिकित्सकों ने अपनी ओपीडी की सेवाएं बहाल कर दी जबकि राजधानी सहित जिलों के अधिसंख्य निजी नर्सिंग होम में बंदी की स्थिति बनी हुई है.

इधर, आइएमए के उपाध्यक्ष डाॅ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि निजी क्षेत्र की इमरजेंसी सेवाएं बहाल हो गयी है. मरीजों की कम संख्या होने के कारण ओपीडी की सेवाएं भी शुरू कर दी गयी है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा निजी क्षेत्र से कोविड-19 की रोकथाम में की मांग की थी. साथ ही आइसीयू और वेंटिलेटर तैयार रखने का निर्देश दिया गया था. सरकार द्वारा इस क्षेत्र में फॉलोअप अभी तक नहीं किया गया है. इससे स्थिति स्पष्ट नहीं है कि निजी क्षेत्र को आगे क्या करना है.

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