संवाददाता,पटना राज्य के 72 हजार सरकारी स्कूलों में इस साल होने वाले निर्माण कार्य की पूरी योजना इसी महीने तैयार कर ली जायेगी और सितंबर महीने में शुरू करा लिये जायेंगे. इसके लिए शिक्षा विभाग ने पहले से चले आ रहे प्रावधानों में संशोधन कर नया ब्लू प्रिंट तैयार किया है. विभाग ने तय किया है कि 50 हजार तक के कार्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक/ प्राचार्य करा सकेंगे. 50 हजार से अधिक और 50 लाख तक के कार्य जिला पदाधिकारी के निर्णय से स्थानीय क्षेत्र इंजीनियरिंग संगठन (एलएइओ) , भवन निर्माण, अथवा अन्य किसी भी एजेंसी से कराये जा सकेंगे. हालांकि इसके लिए दो शर्तें होंगी. अव्वल तो यह कार्य निविदा से कराये जायेंगे. दूसरे, 50 प्रतिशत कार्य पूरा होने के बाद तथा कार्य समाप्ति के बाद पूर्णता एवं गुणवत्ता का प्रमाण पत्र संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक देंगे. 50 लाख से अधिक के कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड की तरफ से निविदा के माध्यम से कराया जा सकेगा. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डाॅ एस सिद्यार्थ ने शुक्रवार को सभी डीएम को इस आशय की गाइडलाइन भेजी है. अपने नये आदेश में शिक्षा विभाग ने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक के उस निर्णय को पलट दिया है, जिसके तहत बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के तहत राज्य एवं जिला स्तरीय कोषांग और बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड को एक करके सभी डीएम के नियंत्रण में जिला स्तरीय अभियंत्रण कोषांग का गठन कर दिया गया था. फिलहाल विभाग के ताजातरीन आदेश के अनुसार अब उन दोनों एजेंसियों को एक बार फिर अलग-अलग कार्य करने के लिए कह दिया गया है. योजनाओं के चयन एवं प्राथमिकता का निर्धारण डीएम या उनकी अनुपस्थिति में डीडीसी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी. समिति में डीइओ, प्रारंभिक एवं सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के जिला स्तरीय अभियंता बतौर सदस्य शामिल किये गये हैं. समिति की तरफ से चयन करने के बाद किसी तरह की प्रशासनिक स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी.स्कूलों में शौचालयों की मरम्मत, शौचालयों की सुविधा, पेयजल की सुविधा, रसेाईघर का निर्माण, विद्युतीकरण सहित 11 बिंदु समाहित किये गये हैं.
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