बिहार में आए दिन हथकड़ी साथ लेकर या सरका कर भाग रहे अपराधी, जानिए पुलिस को कैसे दे रहे चकमा…

बिहार में आए दिन अपराधियों के पुलिस कस्टडी से फरार होने की घटना सामने आ रही है. इस घटना को अंजाम देने वाले बंदी जानिए किस ताक में रहते हैं.

By ThakurShaktilochan Sandilya | September 5, 2024 1:07 PM

बिहार में आए दिन अब अपराधी पुलिस कस्टडी से फरार होने लगे हैं. पिछले कुछ दिनों में ऐसे मामले तेजी से बढ़े. हाल में ही बेऊर जेल में बंद सोना लूटकांड का आरोपित प्रिंस कुमार हथकड़ी के साथ फरार हो गया. वहीं भागलपुर में एक वारंटी पुलिस गिरफ्त से उस वक्त फरार हो गया जब उसे कोर्ट के आदेश पर पुलिस जेल लेकर जा रही थी. इससे पहले पटना के बाढ़ थाना परिसर से एक नाबालिग आरोपित फरार हो गया था. पिछले कुछ मामलों को देखा जाए तो फरार होने वाले अपराधी मौके की ताक में रहे हैं. जबकि कई मामले संदिग्ध भी पाए गए जिसमें पुलिसकर्मियों की मिलीभगत की भी आशंका जतायी जाती रही.

बेऊर जेल में बंद लुटेरा हथकड़ी के साथ फरार

पटना में बेऊर जेल में बंद एक लुटेरे प्रिंस कुमार को रूटीन हेल्थ चेकअप के लिए पीएमसीएच लाया गया था. यहां से उसे लेकर दो पुलिसकर्मी निकले और अचानक एक कमरे में पार्टी करने लगे. इधर मौका देखकर कुख्यात प्रिंस हथकड़ी समेत फरार हो गया. दो सिपाही इस मामले में गिरफ्तार किए गए जबकि आठ पुलिसकर्मी सस्पेंड हुए. हैरान करने वाली बात यह है कि एक गिरोह के कुछ सदस्य गाड़ी लेकर अस्पताल उससे मिलने आए थे. इसके बाद दो पुलिसकर्मी कुख्यात को लेकर एक मकान में पार्टी करने पहुंच गए थे.

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भागलपुर में जेल ले जाते समय भागा अपराधी

भागलपुर जिले के सबौर थाना की पुलिस एक वारंटी लैलख निवासी विकेश कुमार को लेकर जेल जा रही थी. कोर्ट के आदेश पर उसे भागलपुर सेंट्रल जेल ले जाया जा रहा था. इस दौरान वह हथकड़ी सरका कर चलती टेंपो से कूद गया और फरार हो गया. तिलकामांझी थाने में केस दर्ज किया गया. पुलिस उसे पकड़ने के लिए छापेमारी करती रही.

बाढ़ थाना परिसर से शौच के बहाने भागा

पटना के बाढ़ थाना परिसर दलित उत्पीड़न मुकदमे का एक नाबालिग आरोपित मंगलवार की सुबह फरार हो गया था. उसने शौच का बहाना बनाया और जब उसे चौकीदार शौच कराने लेकर गया तो हथकड़ी खोल दी. जिसका फायदा उठाकर वह फरार हो गया. सोमवार रात को उसकी गिरफ्तारी हुई थी. अभियुक्त के फरार होने की सूचना पर पुलिस फौरन एक्टिव हुई और कुछ ही घंटे बाद उसे वापस गिरफ्तार कर लिया गया था.

रोहतास थाना से ही भाग गया अभियुक्त

रोहतास के नटवार थाना की हाजत से हाल में एक अभियुक्त फरार हो गया था. शराब मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई थी. रात में ड्यूटी पर तैनात दारोगा शौच के लिए गए तो अंधेरे का फायदा उठाकर अभियुक्त हाजत से फरार हो गया. एक हाथ में हथकड़ी लिए हुए ही वह भाग गया.

पटना में चलती ऑटो से कूदकर भागा, हथकड़ी भी साथ ले गया

पूर्व की कुछ घटनाएं जो हाल में ही घटित हुई हैं, उनका जिक्र करें तो पटना पुलिस की कस्टडी से एक कैदी चलती ऑटो से ही कूदकर फरार हो गया था. रानी तालाब पुलिस ने चोरी के मामले में अभियुक्त अंबुज नट को पकड़ा था जो जानीपुर थाना क्षेत्र के चकमूसा के पास हथकड़ी समेत फरार हो गया था.

पटना में कोर्ट परिसर से भागा दुष्कर्म का आरोपी

पटना सिविल कोर्ट परिसर से भी पॉक्सो का आरोपी मोहम्मद आसिफ फरार हुआ था. बेऊर जेल से उसे पेशी के लिए पुलिस लेकर आयी थी और पेशी के बाद वो मौका पाकर भाग गया था. उसके हाथ हथकड़ी से बंधे थे लेकिन किसी तरह हथकड़ी सरका कर वह भाग गया था. उसपर दुष्कर्म का आरोप था जिस मामले में वह गिरफ्तार हुआ था.

नवादा और मुजफ्फरपुर में भी कस्टडी भाग चुके हैं कैदी

नवादा जिले में भी शराब के साथ पकड़ा गया एक शराब माफिया कैदी पुलिस को चकमा देकर भाग गया था. कैदी के हाथ में हथकड़ी लगी थी और उसे मेडिकल जांच कराने के लिए पुलिस अस्पताल लेकर आयी थी. कैदी हाथ में लगी हथकड़ी के साथ फरार हो गया. 22 अगस्त का यह मामला है. वहीं कुछ महीने पहले मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में इलाज के लिए आया कैदी पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था. उसकी पहरेदारी के लिए जिस पुलिसकर्मी को तैनात किया गया था वह शौच के लिए गया था और इसी बीच मौका पाकर कैदी हथकड़ी खोलकर भाग गया था.

क्या है इन घटनाओं के पीछे की वजह?

पुलिस कस्टडी से बंदियों के फरार होने की अलग-अलग वजह सामने आयी है. अधिकतर मामलों में देखा गया है कि जब इन बंदियाें को इलाज या रूटीन जांच के लिए अस्पताल ले जाया जाता है या पेशी के लिए अदालत ले जाया जाता है. तभी मौका देखकर ये फरार होते हैं. ऐसे मामलों में कई बार पुलिस की लापरवाही दिखी है तो कई बार मिलीभगत की भी आशंका बढ़ी. अधिकतर मामलो में देखा गया कि इन बंदियों को पैदल या ऑटो वगैरह से लेकर पुलिस के एक दो जवान निकल लेते हैं. ऐसे में इन बंदियों को भागने का मौका कहीं ना कहीं मिल ही जाता है. कई मामले संदिग्ध भी दिखे हैं जिसमें पुलिसकर्मी के इरादे पर ही शक पैदा हुआ है. हालांकि वरीय पदाधिकारी इन मामलों में सख्त कार्रवाई भी करते रहे हैं.

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